Pakistan News Today: पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को संख्या 30 हज़ार से भी ज़्यादा है और सभी पर आतंकी खतरा हमेशा बना रहता है. ज्यादातर चीनी नागरिक वहां पर जारी शी जिनपिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट CPEC में काम कर रहे हैं. 2015 से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी नागरिकों पर हमले बढ़ गए है. बलोच विद्रोही तो ऐसे हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गए हैं कि चीनी सरकार के माथे पर पसीना आ गया है. पाकिस्तान जिसमें सुरक्षा का जिम्मा उठाया वो चीनी नागरिकों को सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है. लिहाजा अब उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद चीन लेना चाहता है. सुरक्षा के लिये चीनी पीएलए की यूनिट तैनात करने के लिए पाकिस्तान को कहा था लेकिन रिपोर्ट की माने तो पाकिस्तान ने उसे सिरे से खारिज कर दिया . अब चीनी दबाव के बाद चीन-पाकिस्तान के बीच ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनीज फ्रेमवर्क ( एंटी टेररिज्म कॉपरेशन) पर दस्तखत हो चुके है. यानी की पाकिस्तान में चीनी सुरक्षाबलों की तैनाती हो सकती है.
अगर पाकिस्तान चीन की सेना को सुरक्षा के काम का जिम्मा सौंपता तो दुनिया में पाकिस्तान की फजीहत होती और घर में भी दबाव होत. ऐसे में बचने के लिए नया रास्ता निकाला गया है और वो है चीन की प्राईवेट सिक्योरिटी कंपनी के जरिए सुरक्षा प्रदान करवाना. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने इस काम के लिए 3 बड़ी सिक्योरिटी कंपनियों को हायर किया है, जिसमें बीजिंग के DeWe , Hua Xin और COSG चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप शामिल हैं. खास बात तो ये है कि इन तीनों कंपनियों का सीधा रिश्ता चीनी पीएलए से है. क्योंकि पीएलए से रिटायर हुए अधिकारियों ने ही इन्हें स्थापित किया है. रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर शारदेंदु (रिटायर्ड) के मुताबिक इन प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियों में जो लोग होंगे वो चीनी पीएलए के होंगे और इंडायरेक्ट तरीके से पाकिस्तान में घुसेंगे जिसके तहत वहां पर अपने प्रोजेक्ट के और लोगों को सुरक्षा को अंजाम देंगे.
प्राइवेट सिक्योरिटी ग्रुप का PLA कनेक्शन
DeWe सिक्योरिटी ग्रुप जो कि चीनी पीएलए के रिटायर्ड सैनिकों ने 2011 में शुरू की थी इसका काम बेल्ट रोड इनिशिएटिव यानी की BRI के अलग अलग प्रोजेक्ट पर सुरक्षा प्रदान करना है फिलहाल ये नैरोबी , सूडान , इथोपिया सहित कई देशों में चीनी प्रोजेक्ट को सुरक्षा दे रहा है तो चाईना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप तो तुर्की , सोमालिया , इथोपिया, कीनिया, मोज़ाम्बिक, ज़ांबिया, साउथ अफ़्रीका, थाईलैंड, कंबोडिया , अर्जेंटीना और पाकिस्तान में अपनी ब्रांच खोल रखी है और कई प्रोजेक्ट को पूरी सर्विस दे भी रहे हैं. तो Hua Xin सिक्योरिटी ग्रुप जो कि मेरिटाइम सिक्योरिटी के लिए जानी जाती है तो माना जा रहे है कि ग्वादर की सुरक्षा का जिम्मा इसी सर्विस के पास दिया जा सकता है. इसे भी चीनी पीएलए के रिटायर अधिकारी ने ही स्थापित किया और फिलहाल 40 देशों में ये चीनी प्रोजेक्ट को सुरक्षा रहे हैं. चीन ने अपने जितने भी प्रोजेक्ट BRI के तहत दूसरे देशों में चलाए हैं वहाँ पर सीधे पीएलए सैनिकों को ना भेज कर चीनी प्राइवेट सिक्योरिटी का रूट पकड़ा है. रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर शारदेंदु (रिटायर्ड) का मानना है कि चीन पाकिस्तान में उसी तरह से घुस रहा है जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई थी . पहले व्यापार के लिए फिर उसने अपनी सेना बना कर भारत पर कब्जा कर लिया था. पीएलए धीरे धीरे अपनी संख्या को वहा बढ़ाएगा और पाकिस्तान को अपनी गिरफ़्त में ले लेगा.
पाकिस्तानी सिक्योरिटी यूनिट पर नहीं चीन को भरोसा
चीनी इंजीनियरों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिये खैबर पख़्तूनख्वा पुलिस ने नई CPEC पुलिस यूनिट को तैनात किया था, चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाई गई ये इन यूनिट में 18 से 25 साल की उम्र के लोगों को ही भर्ती की गई. खुद पाकिस्तानी सेना ने छह महीने की ट्रेनिंग में स्पेशल स्किल फर्सटएड , मॉर्डन वेपन ,सेल्फ़ डिफ़ेंस , एडवास फ़ायरिंग और मार्शल आर्ट सिखाई गई. साथ ही सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों को भी प्रोजेक्ट में काम करने वाले चीनी इंजीनियर और कर्मचारियों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तैनात किया था. कई संवेदनशील साईट और जगह पर पाकिस्तानी सेना की कमॉडो यूनिट तैनात की गई है. पाकिस्तान के उस हर प्रांत जहां से होकर CPEC गुजरता है की पुलिस ने स्पेशल यूनिट तैयार की थी. लेकिन ये सब पूरी तरह से फेल हो गया और चीन ने पाकिस्तान के ना चहते हुए भी ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनीज़ फ्रेमवर्क पर दस्तख़त करवा लिए और अपनी सेना को प्राइवेट सिक्योरिटी के तौर पर तैनात करने का प्लान को अमलीजामा पहना दिया.