पंचकोशी यात्रा
संजय कुमार/ बक्सर: बक्सर जिले के अहिरौली गांव में पंचकोशी यात्रा के पहले पड़ाव पर मेले का भव्य आयोजन किया गया. लाखों श्रद्धालुओं ने अहिल्या माता के मंदिर में मिट्टी के दीये जलाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की. इस दौरान, वर्षों पुरानी परंपरा के तहत कई महिलाओं ने मन्नत पूरी होने पर अपने आंचल पर लौंडा डांस कराया, जो मेले का मुख्य आकर्षण रहा.
आंचल पर लौंडा डांस: श्रद्धा का प्रतीक
आंचल पर लौंडा डांस कराने की परंपरा इस क्षेत्र में सदियों पुरानी है. महिलाएं इसे अपनी मन्नत और श्रद्धा का प्रतीक मानती हैं. यूपी के भरौली से आईं बंदना देवी ने बताया कि बेटा होने की मन्नत पूरी होने पर उन्होंने अपने आंचल पर लौंडा डांस कराया. यह परंपरा मेले में विशेष आकर्षण का केंद्र बन गई और इसे देखने के लिए भारी भीड़ जुटी.
पंचकोशी यात्रा: पांच प्रमुख स्थलों का धार्मिक सफर
पंचकोशी यात्रा की शुरुआत श्रद्धालुओं ने अहिरौली में पूजा-अर्चना और दीप प्रज्वलन के साथ की. यह यात्रा पांच प्रमुख धार्मिक स्थलों पर जाकर संपन्न होती है.
– पहला पड़ाव : अहिरौली
– दूसरा पड़ाव : नारद आश्रम, नदाव
यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल होकर धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत करते हैं.
भगवान राम और अहिल्या उद्धार की कथा
मंदिर परिसर में संत लक्ष्मी नारायण त्रिदंडी स्वामी गंगा पुत्र द्वारा शिविर का आयोजन किया गया. उन्होंने श्रद्धालुओं को भगवान राम और अहिल्या उद्धार की कथा सुनाई. उन्होंने कहा, यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा और पवित्रता हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है.
अहिरौली मेला: धार्मिकता और संस्कृति का संगम
अहिरौली का यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक मेलजोल का अद्भुत संगम है.
– श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और उल्लास से यह स्पष्ट होता है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध है.
– यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि आनंद और परंपरा का अनोखा मिश्रण भी है.
मेले का यह आयोजन लोगों को धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो आने वाले समय में भी इन परंपराओं को जीवंत रखेगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 18:33 IST