'जब कर्पूरी ठाकुर की पत्नी ने कहा था पूरे महीने का राशन मंगवा दीजिए'

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:January 24, 2025, 16:22 IST

Karpoori Thakur Jayanti: कर्पूरी ठाकुर के निजी सहायक रह चुके बिहार के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री सुरेंद्र किशोर ने अपने फेसबुक पोस्ट में उनके साथ की यादों का जिक्र करते हुए जो कुछ भी लिखा है उसे जानकर आप...और पढ़ें

'जब कर्पूरी ठाकुर की पत्नी ने कहा था पूरे महीने का राशन मंगवा दीजिए'

कर्पूरी ठाकुर के निजी सहायक रह चुके बिहार के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार पद्म श्री सुरेंद्र किशोर ने उनसे जुड़ी यादों का जिक्र किया है.

पटना. जननायक कर्पूरी ठाकुर के जयंती के अवसर पर अलग-अलग राजनीतिक पटना में बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और उनके सिद्धांतों पर चलने की बात कहते हैं. लेकिन, उनकी जयंती पर कुछ ऐसी यादों का भी जिक्र होता है, जिसे जानकार आज के नेताओं से जब उनकी तुलना होती है तो लगता है कि काश कोई तो ऐसा नेता होता जो कर्पूरी ठाकुर के रास्ते पर चलता. भले ही बिहार के तमाम नेता कर्पूरी ठाकुर के सिद्धांतों पर चलने की बात करते हैं. लेकिन, आज शायद ही कोई ऐसा नेता दिखता है, जो उनके पद चिन्हों पर चलता है. ऐसे में आज कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी कुछ ऐसी यादों को फिर से जानना जरूरी है जो बताती है कि वो दूसरे नेताओं से कितने अलग थे.

दरअसल कर्पूरी ठाकुर के निजी सहायक रह चुके बिहार के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री सुरेंद्र किशोर ने अपने फेसबुक पोस्ट में उनके साथ की यादों का जिक्र करते हुए जो कुछ भी लिखा है उसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर जो 1972-73 में समाजवादी कार्यकर्ता के तौर पर कर्पूरी ठाकुर के निजी सचिव थे और उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को काफ़ी नज़दीक से देखा और समझा है . सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि मेरा मानना है कि खुद को कर्पूरी ठाकुर का अनुयायी कहने का नैतिक अधिकार सिर्फ उसे ही है जो अपनी जायज आय में ही अपना जीवन- यापन करे या ऐसा जीवन जीने की कोशिश करे.

‘300 रुपये थी सैलरी’

सुरेंद्र किशोर का कहना है कि सन 1972-73 में समाजवादी कार्यकर्ता के रूप में मैं कर्पूरी ठाकुर का निजी सचिव था. वे विधायक थे. बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता थे. तब प्रतिपक्ष के नेता को आज जैसी सुविधाएं तब हासिल नहीं थीं. रिक्शे पर चलते थे. सरकार की तरफ से सिर्फ उन्हें एक PA यानी टाइपिस्ट मिला हुआ था. कुछ दैनिक अखबारों के खर्चे मिलते थे. विधायक के रूप मे हर माह 300 रुपए वेतन और विधानसभा की कमेटियों की महीने में अधिकत्तम चार ही बैठकें तब होती थीं. हर बैठक के लिए 15 रुपए भत्ता मिलता था.

सादगी से जीवन जीते थे कर्पूरी ठाकुर’

सुरेंद्र किशोर का कहना है कि एक बार कर्पूरी जी की धर्म पत्नी ने मुझसे कहा कि आप ठाकुर जी से कहिए कि महीने भर का राशन एक ही दफा खरीद दें. महीने में वे 15-20 दिन पटना से बाहर ही रहते हैं. चौके में क्या है और क्या नहीं है. इसकी चिंता वे नहीं करते. मैंने कर्पूरी जी से यह बात कही उस पर उन्होंने कहा कि उनसे कहिए कि वे लोग गांव यानी पितौझिया जाकर रहें. सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि जब तक उनके साथ मैं रहा, मैंने यह पाया कि कर्पूरी जी रोज के खर्चे के लिए किसी से पैसे यानी चंदा नहीं लेते थे. उनसे मिलने के लिए रोज दर्जनों लोग आते थे. उनमें से कुछ ही लोग ऐसे होते थे जिनके पास 100-50 रुपए होने की संभावना रहती थी. बाकी तो गरीब लोग होते थे.

‘ध्यान रखिएगा कि यहां कोई पैसा न दे’

वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर ने बताया कि साफ-सुथरे कपड़े वाले लोगों की ओर इशारा करते हुए कर्पूरी जी मुझसे कहते थे कि ध्यान रखिएगा कि ये लोग यहां किसी कोई पैसा न दें. कर्पूरी जी सिर्फ चुनाव के समय या पार्टी के सम्मेलनों के समय ही चंदा मांगते थे. पर उस समय भी वे काफी कम पैसे स्वीकारते थे. ऐसा नहीं था कि कर्पूरी जी के जीवन काल में आम राजनीति में पैसों का खेल नहीं होता था. सत्तर के दशक में बिहार में हुए एक संसदीय उप चुनाव में एक सत्ताधारी उम्मीदवार ने 32 लाख रुपए खर्च किए थे. 1972 का 32 लाख का क्या मतलब था आज समझ सकते है. कर्पूरी ठाकुर की सादगी के बारे में चर्चा करते हुए सुरेंद्र किशोर ने लिखा है- अपने साथ काम करने वाले को कर्पूरी जी तुम नहीं कहते थे आप कहते थे. सिर्फ नौकर मोहन और पुत्र रामनाथ को तुम कहते थे. मुझसे कभी गलती हुई तो उन्होंने यह नहीं कहा कि आपने गलती कर दी या क्यों गलती कर दी? बल्कि कहते थे कि गलती हो गई.

‘आज तक उनके जैसे नेता से नहीं मिला’

सुरेंद्र किशोर कहते हैं- एक दिन यानी 26 मार्च, 1972 को कर्पूरी ठाकुर ने मुझसे मेरे बारे में कहा था,‘आप तेज, मृदुभाषी और सुशील लड़का हैं’. ध्यान रहे कि तब मैं कर्पूरी जी का निजी सचिव था. उनके बुलावे पर मैं उनसे जुड़ा था. एक लाइन में कह सकता हूं कि कर्पूरी जी से अधिक महान नेता से मुझे अब तक मुलाकात नहीं हुई. महान होंगे, पर मैं वैसे नेता से नहीं मिल सका. जबकि दशकों राजनीति और पत्रकारिता में काम करने का मेरा अनुभव है. मैं करीब डेढ़ साल तक कर्पूरी जी के सरकारी आवास में रात-दिन साथ रहा. इतना समय काफी है जब आप किसी को बाहर-भीतर से जान -समझ जाते हैं.

Location :

Patna,Patna,Bihar

First Published :

January 24, 2025, 16:20 IST

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