नई दिल्ली. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के नए नियम पर प्रतिक्रिया दी. आलोक कुमार का कहना है कि नए नियम पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए. आलोक कुमार ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान तिरुपति बालाजी मंदिर के नए नियमों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए? आखिर तिरुपति एक धार्मिक स्थान है.
उन्होंने कहा, “तिरुपति बालाजी मंदिर टूरिज्म की जगह नहीं है, वह सैरगाह नहीं है, वह कोई किला या महल नहीं है जिसको लोग देखने जाएं. वह भगवान का स्थान है और जिनको भगवान के उस रूप में श्रद्धा है, उन लोगों के लिए स्थान है. इसलिए वहां के कर्मचारी जो उस मंदिर की व्यवस्थाओं और सेवा में लगे हैं, उनको भी उसी विश्वास का होना चाहिए.”
आलोक कुमार ने आगे कहा, “अगर वह ऐसे किसी मज़हब के हों, जो मूर्ति में विश्वास नहीं करता, मूर्तियों को तोड़ना अपना कर्तव्य मानता है तो वह क्या सेवा करेगा? मक्का की जो बड़ी मस्जिद है, वहां पर गैर-मुसलमान को जाने की इजाजत नहीं है. इजाजत क्यों नहीं इसके लिए मैं गूगल पर गया. गूगल ने मुझे कुरान की एक आयत बताई, जिसमें कहा गया है कि जो मूर्ति पूजक हैं, वह अस्वच्छ होते हैं, अशुद्ध होते हैं इसलिए उन्हें मस्जिद में नहीं आने देंगे.
मैं समझता हूं कि तिरुपति का जो निर्णय है वह सही है। अब एक मन में सवाल आ सकता है कि ऐसे कर्मचारियों का क्या होगा? तो उसमें व्यवस्था की है। जो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने के लिए तैयार हैं उनको वीआरएस दिया जाएगा। जो वीआरएस लेने के लिए तैयार नहीं हैं, उनका ट्रांसफर किया जा सकता है. उनके हितों का कोई नुकसान नहीं होगा। मंदिर की सेवा में वही लोग रहेंगे जो हिंदू धर्म का पालन करने वाले हैं, जिससे वह अपनी सेवा, श्रद्धा, मर्यादा के साथ में तन्मय होकर कर सकें. हम इस फैसले से सहमत हैं.
बता दें कि नवगठित तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने तिरुपति बालाजी मंदिर में कार्यरत गैर-हिंदू कर्मचारियों के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इस प्रस्ताव के तहत मंदिर बोर्ड में काम करने वाले गैर-हिंदू कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने या आंध्र प्रदेश के अन्य सरकारी विभागों में ट्रांसफर लेने में किसी एक विकल्प को चुनना होगा.
FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 21:05 IST