किसानों के लिए वरदान है यह मंदिर
नागौर:- राजस्थान के नागौर जिले में हनुमान जी का एक अनोखा मंदिर मौजूद है. इस मंदिर में नाचते हुए हनुमान जी की पूजा की जाती है. खास बात यह है कि हनुमान जी की मूर्ति के मूंछ भी हैं. इस मंदिर को लेकर स्थानीय लोगों में अनेकों मान्यताएं भी हैं. बताया जाता है कि बालाजी महाराज को नारियल चढ़ाने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. नाचते हुए मूंछ वाले हनुमान जी के दर्शन के लिए राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने से भक्त इस मंदिर में आते हैं.
यह मंदिर नागौर- नावा- कुचामन के छोटे से गांव सावंतगढ़ में स्थित है. यह मंदिर फोगा वाले बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है. मंदिर की देख-रेख करने वाले शिवकरण ने लोकल 18 को बताया कि लगभग 500 साल पहले गांव में कुएं की खुदाई के दौरान मूंछ वाले बालाजी की नाचती हुई मूर्ति प्रकट हुई थी. खुदाई वाले क्षेत्र में बहुत ज्यादा फोग पौधे की प्रचुरता होने के कारण इस मंदिर का नाम फोगा वाले बालाजी के रूप में पूजा शुरू हुई.
क्यों खास है यह मंदिर
छोटे से गांव सावंतगढ़ में स्थित दक्षिण मुखी मूंछ वाले बालाजी का यह मुख्य मंदिर है. मंदिर के नाम लगभग 70 बीघा जमीन है. मुख्य गर्भगृह के चारों ओर सुंदर कांच की निकासी नजर आती है, जो बेजोड़ कला का नमूना है. हनुमान जयंती पर मंदिर में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. भगवान हनुमान की नाचती हुई तस्वीर इस मंदिर के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सांवतगढ गांव में चोरी की नीयत से जब कोई चोर गांव में घुसता था, तो मंदिर में रखी मुरत आवाज लगा देती थी. ऐसे में गांव वाले सावधान हो जाते और बड़ी आर्थिक हानि से बच जाते थे.
किसानों के लिए वरदान है यह मंदिर
अक्सर गांव में कुआं, बावड़ी, ट्यूबवेल खोदने से पहले मीठी पानी की जांच करने के लिए सुबह-सुबह हाथों में नारियल लेकर इस मंदिर में पहुंच जाते हैं. मुख्य पुजारी नारियल की दशा देखकर यह बता देते हैं कि किस जगह कुआं व ट्यूबवेल की खुदाई करनी है. मंगलवार व शनिवार को बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर में पहुंचते हैं.
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असम में मंदिर के नाम ‘फोगा वाला’ चाय का ब्रांड है फेमस
सांवतगढ़ के भामाशाह ने असम में चाय का बागान खरीदा और अपने गांव के मंदिर के नाम चाय का अपना ब्रांड फोगा वाला चार शुरू किया. आज यह ब्रांड असम की प्रसिद्ध चाय ब्रांड मानी जाती है. भामाशाह ने मंदिर के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मंदिर संचालन के लिए एक ट्रस्ट बना है. इसकी मुख्य पुजारी भगवत प्रसाद स्वामी मंदिर की देख-रेख स्वयं करते हैं. मंदिर के एक कोने में ठाकुर जी का भी मंदिर बना है. एक ही परिसर में गांव वाले दोनों मंदिर की पूजा करते आ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED :
September 25, 2024, 15:38 IST
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