नई दिल्ली. राजनीति का सारा खेल कुर्सी का है. कई बार तो देखने में आया है कि कुर्सी पाने या मिलने के बाद नेता उस कुर्सी मोह को भूल नहीं पाते हैं. ऐसे में पार्टी से लेकर परिवार तक में फूट पड़ जाती है. पर दिल्ली की राजनीति में भी कुछ इसी दौर से गुजर रही है. यहां भी अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद को छोड़ दिया है तो आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है. आतिशी ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद संभाल लिया है. पर आतिशी ने जैसे दिल्ली के सीएम पद को संभाला है तो कई लोग तो उनकी तारीफ कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इसे आम आदमी पार्टी का तमाश बता रही है.
राबड़ी देवी ने भी ऐसा नहीं किया?
बिहार में कुर्सी से दलों और परिवार को प्यार खासा रहा है. इसलिए जब आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले मामले में सजा हुई तो उन्होंने पार्टी से किसी नेता को नहीं बल्कि अपनी पत्नी को सीएम की कुर्सी पर बैठाया. राबड़ी के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद काफी बवाल हुआ और विपक्ष ने इसको लेकर कई सवाल उठाए पर आरजेडी विधायकों ने लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद 25 जुलाई 1997 को पहली बार सीएम बनाया. पहला कार्यकाल 11 फरवरी 1999 तक चला. इसके बाद दूसरी बार 9 मार्च 1999 को दोबारा से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2 मार्च 2000 तक इस पद पर रहीं. पर कभी भी राबड़ी देवी ने लालू प्रसाद यादव के लिए कभी कोई सीट खाली नहीं रखी.
बिहार की राजनीति में मांझी ने भी चलाई सरकार ऐसी सरकार
लालू प्रसाद यादव नहीं ही नहीं इसके बाद नीतीश कुमार के कुर्सी खाली करने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपने सबसे करीबी को बैठाया था. नीतीश कुमार ने साल 2014 में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद यह फैसला लिया था और मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली कर जीतन राम मांझी को सीएम पद सौंप दिया था. आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. जिसका पार्टी के अंदर ही कई नेताओं ने विरोध किया था. यहीं वजह है कि पार्टी की बुरी हार के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने का फैसला लिया था. इस तरह जीतन राम मांझी ने भी कभी नीतीश कुमार के नाम पर सीट खाली रखकर सरकार नहीं चलाई.
बिहार के बाद अगर हम झारखंड की सरकार का ताजा मामला भी ले तो वहां भी भ्रष्टाचार के मामले में अरेस्ट होने से पहले हेमंत सोरेन ने भी ऐसा ही किया. हेमंत सोरेन ने विधायकों की मंजूरी से चंपई सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया. वहीं जब हेमंत को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई तो उन्होंने वापस सीएम पद संभाल लिया. पर हेमंत सोरेन के लिए कुर्सी खाली रखकर राज्य सरकार नहीं चलाई है.
आतिशी ने क्या किया?
वहीं अरविंद केजीवाल के सीएम पद छोड़ने के बाद आतिशी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. शपथ लेने के बाद सोमवार को आतिशी ने सीएम हाउस जाकर कामकाज संभाल लिया. आतिशी ने ट्वीट करके बताया कि आज मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी संभाली है. आज मेरे मन में वो ही व्यथा है जो भरत के मन में थी जब उनके बड़े भाई भगवान श्री राम 14 साल के वनवास पर गए थे, और भरत जी को अयोध्या का शासन संभालना पड़ा था. जैसे भरत ने 14 साल भगवान श्री राम की खड़ाऊं रखकर अयोध्या का शासन संभाला, वैसे ही मैं 4 महीने दिल्ली की सरकार चलाऊंगी. यानी अब सीएम हाउस में दो कुर्सियां होगी एक अरविंद केजरीवाल के लिए और दूसरी उनकी खुद की कुर्सी.
आतिशी के फैसले पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा है कि खर, दूषण और ताड़का ख़ुद को राम लक्ष्मण और भरत होने का सर्टिफिकेट बांट रहें हैं. ये मोहिनी ड्रामा कंपनी की नौटंकी पर अब पर्दा गिराने का समय आ चुका है.
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FIRST PUBLISHED :
September 23, 2024, 14:44 IST