झांसी. यूपी का झांसी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाता जाता है.यहां के गंगा-जमुनी तहजीब के किस्से पूरी दुनिया में मशहूर हैं. सांप्रदायिक सौहार्द का आलम यह था की रानी लक्ष्मीबाई के सबसे प्रमुख सिपहसालार गुलाम गौस खां थे. दो धर्मों के आपसी प्रेम और सम्मान का एक उदहारण झांसी के कालीबाड़ी दुर्गा पूजा में देखने को मिलता है. यहां मां दुर्गा की जिस मूर्ति की आराधना की जाती है, उसको तैयार करने का काम मुस्लिम परिवार करते हैं. झांसी का यह मुस्लिम परिवार पिछले 60 वर्षो से यहां मुर्तियां बनाते आ रहे हैं.
दो पीढियों से मां दुर्गा की बना रहे हैं प्रतिमा
वर्तमान में मूर्ति को तैयार करने का काम मो. खलील करते हैं. मो. खलील पिछ्ले 35 साल से मां दुर्गा की प्रतिमा को बनाने का काम करते आ रहे हैं. इससे पहले उनके पिता खलीक भी यहां मूर्ति बनाने का काम करते थे. खलील ने लोकल 18 को बताया कि पिछली दो पीढ़ियों से एक ही जगह पर मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मूर्ति वहीं तैयार की जाती है, जिस जगह पर उसकी पूजा होनी है. उन्होंने बताया कि मूर्ति पारंपरिकऔर पूरी तरह ऑर्गेनिक पद्धति से बनाई जाती है. इससे प्रतिमा विषर्जन में कोई परेशानी नहीं हाती है और प्रदूषण का भी कोई खतरा नहीं रहता है. मूर्तियों पूरी तरह से इको फ्रेंडली होती है.
पर्यावरण का रखा जाता है ख्याल
माे. खलील ने लोकल 18 को बताया कि मां दुर्गा का जो स्वरूप यहां तैयार किया जाता है, वह बिल्कुल बंगाल की तर्ज पर होता है. जिसकी पूजा बंगाल में लंबे समय ये हो रही है. स्वरूप के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया जाता है. पर्यावरण संरक्षण का यहां विशेष ध्यान रखा जाता है. मूर्ति को विसर्जित करने के लिए भी खास इंतजाम किए जाते हैं. जिस जगह पूजा होती है उसके नीचे ही एक कुंड बनाया गया है. दशहरा के दिन उसी कुंड में मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है.
Tags: Durga Puja festival, Jhansi news, Local18, UP news
FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 16:00 IST