टीनेजर बच्चे की ऐसे करें परवरिश, जिंदगी का पाठ पढ़ाने के लिए यह टिप्स अपनाएं

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टीनेज में बच्चों के साथ पैरेंट्स को दोस्ती करनी चाहिए ( Image-Canva)टीनेज में बच्चों के साथ पैरेंट्स को दोस्ती करनी चाहिए ( Image-Canva)

 जब बच्चा बढ़ा हो रहा होता है और वह प्यूबर्टी यानी टीनेज में पहुंच जाता है तो बहुत कंफ्यूज रहता है. शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव उसे गुस्सैल और चिड़चिड़ा बना सकते हैं. उसे समझ नहीं आ रहा होता कि उसमें अचानक बदलाव क्यों आने लगे हैं. बढ़ती उम्र में बच्चे के सवाल भी बढ़ जाते हैं. उनकी जिज्ञासा को शांत करना पैरेंट्स की जिम्मेदारी है लेकिन जब उनके सवाल नजरअंदाज कर दिए जाते हैं तो वह बच्चा बागी होने लगता है, बड़ों की इज्जत नहीं करता और अलग रहने लगता है. टीनेज में जितना बच्चा मुश्किल में होता है, उतनी ही पैरेंट्स के लिए पैरेंटिंग मुश्किल हो जाती है. बच्चों की यह उम्र माता-पिता के लिए भले ही चैलेंजिंग हो लेकिन इस समय उन्हें ज्यादा से ज्यादा वक्त देने की जरूरत है.

प्यूबर्टी के लिए तैयार करें
पैरेंटिंग एक्सपर्ट प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि हमारी सोसाइटी में पैरेंट्स बच्चों को बढ़ती उम्र के बदलावों के बारे में नहीं बताते, जो सबसे बड़ी गलती है. बच्चे के लिए हर उम्र नई है. बढ़ती उम्र में जब शरीर में बदलाव आते हैं तो वह परेशान होने लगते हैं. पैरेंट्स को पहले ही बच्चों को बैठाकर प्यूबर्टी के बारे में बताना चाहिए. हर माता-पिता को लड़कों को बैठाकर बताना चाहिए कि धीरे-धीरे उनकी दाढ़ी-मूंछ आएंगी, आवाज भारी होगी और यह सब नॉर्मल है. इसी तरह बेटियों को पीरियड्स के बारे में बताना चाहिए. ताकी वह अचानक बदलावों से घबराएं नहीं.   

 सलाह दें, बातें ना थोंपे
टीनेज में बच्चे किसी की बात सुनना पसंद नहीं करते. उन्हें लगता है कि वह सही हैं. कई बार वह माता-पिता से बदतमीजी भी करने लगते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को उन्हें डांटना या मारना नहीं चाहिए. पैरेंट्स को समझने की जरूरत है कि वह भी इस उम्र से गुजरे हैं इसलिए उन्हें शांति से बैठाकर सलाह दें. अपनी बात को जबरदस्ती उन पर ना थोपें. बच्चा गलत भी हो, तब भी उन्हें प्यार से उदाहरण देकर समझाएं.

बच्चों से उनके मन की बात पूछनी जरूरी है ( Image-Canva)

बच्चों को इज्जत दें और उनकी बात सुनें
पैरेंट्स को बच्चों की इज्जत करना बेहद जरूरी है. बच्चों की अपनी इंडिविजुअल पर्सनैलिटी है. उनकी अपनी पसंद नापसंद है इसलिए उनकी हर बात शांति से सुनें. कई बार बच्चे जाने-अनजाने में अच्छी सीख दे देते हैं. जब बच्चों को रिस्पेक्ट मिलती है तो वह अपने मम्मी-पापा को भी इज्जत देने लगते हैं. उन्हें हर चीज को करने के लिए मोटिवेट करना चाहिए. बच्चे सवाल पूछें तो उनका हर जवाब देना चाहिए ताकि वह खुद को इग्नोर ना महसूस करें. 

अच्छा इंसान बनाएं
बच्चों को पायलट, इंजीनियर, डॉक्टर, टीचर तो हर कोई बनाना चाहता है, लेकिन उन्हें अच्छा इंसान बनाने पर भी गौर करना चाहिए. बचपन से ही उन्हें चैरिटी करना सीखाएं. उनके हाथों से गरीबों में चीजें बंटवाएं. अच्छे काम के लिए चंदा इकट्ठा करवाएं. सड़क पर घूम रहे जानवरों को उनके हाथों से खाना दिलवाएं. बुजुर्गों की मदद करने को कहें. छोटी-छोटी चीजें उनके अंदर दया, करुणा  और इंसानियत को जन्म देंगी.

घर के काम उनसे करवाएं
टीनेज में बच्चे अकेला रहना पसंद करते हैं. लेकिन उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. उन्हें किसी ना किसी काम में बिजी रखें. जैसे उनसे कपड़े तह करवाएं, डस्टिंग करवाएं, बर्तन सेट करने को बोले, बाहर से कोई सामान लाने को बोलें. अक्सर पैरेंट्स लड़कियों से तो घर के काम करवाते हैं लेकिन लड़कों को कोई काम नहीं कहते. ऐसा करना गलत है. लड़कों को भी जिम्मेदार बनाने की जरूरत है. उन्हें भी लड़कियों की तरह हर काम आना चाहिए. 

बढ़ती उम्र में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए ( Image-Canva)

स्किल्स पर ध्यान दें
हर किसी बच्चे के अंदर कोई ना कोई टैलेंट जरूर छुपा होता है. पैरेंट्स को उसे बाहर निकालकर तराशने की जरूरत होती है. बच्चा जिस भी काम में अच्छा है, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें. अगर कोई स्किल ना भी हो तो भी उन्हें उनकी पसंद के हिसाब से स्किल्स सिखाएं. जैसे म्यूजिक, डांस, पेंटिंग, स्विमिंग, स्पोर्ट्स. इससे बच्चे के स्किल्स निखरेंगे और उनकी मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहेगी. इस तरह उनकी एनर्जी सही कामों में खर्च होगी. दरअसल टीनेज में बच्चे नेगेटिविटी का शिकार होने लगते हैं. लेकिन स्किल्स उनकी सोच को पॉजिटिव बनाते हैं. 

मनी मैनेजमेंट सिखाना जरूरी
अक्सर पैरेंट्स बच्चों की हर जिद को पूरा करते हैं. इससे बच्चा और जिद्दी बनता है और उन्हें पैसों की कद्र नहीं होती. बच्चों को बचपन से ही पैसों की वैल्यू बतानी जरूरी है. उनकी हर डिमांड को पूरा करना जरूरी नहीं है. उन्हें महीने की पॉकेट मनी दें और पूरा महीना उसी से अपने खर्चों को मैनेज करने को बोले. उन्हें एक गुल्लक भी दें जिसमें वह बची हुई पॉकेट मनी के पैसे उसमें जमा कर दें. जब वह अपना खर्चा खुद मैनेज करेंगे तो उन्हें मनी मैनेजमेंट की समझ आने लगेगी. उन्हें टीनेज में ही अपने साथ बैंक ले जाना शुरू करें ताकि वह बैंकिंग सिस्टम से वाकिफ हो सकें. शॉपिंग करते वक्त उनके हाथ से पैसे दिलवाएं ताकि उन्हें महंगाई का अंदाजा हो.  

Tags: Child Care, Money Matters, Parenting tips, Rishton Ki Partein

FIRST PUBLISHED :

November 16, 2024, 18:09 IST

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