डरावनी घाटी से ये मंदिर बना है आस्था का केंद्र! ड्राइवरों के लिए है ये नियम

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रीवा

रीवा का अनोखा हनुमान मंदिर जहां नतमस्तक होते वाहन चालक। 

रीवा: मध्य प्रदेश के रीवा जिले की बरदहाई घाटी में स्थित हनुमान मंदिर एक प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थल है. यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और हिंदू भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है. मंदिर छोटा है लेकिन अत्यंत आकर्षक, जिसमें भगवान हनुमान की छोटी प्रतिमा स्थापित है. स्थानीय लोग हनुमान जी को यहां “हनुमान बाबा” कहते हैं, और यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.

बरदहाई घाटी की प्राकृतिक सुंदरता
रीवा जिला मुख्यालय से 44 किलोमीटर दूर स्थित बरदहाई घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. घाटी में हरे-भरे वन, नदियां, और पहाड़ियां हैं, जो इसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं. यहां का प्राचीन हनुमान मंदिर घाटी के महत्व को और भी बढ़ाता है. यहां अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम और त्योहार आयोजित किए जाते हैं, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करते हैं. पर्यटक यहां ट्रेकिंग, कैम्पिंग, और पिकनिक जैसी गतिविधियों का आनंद भी ले सकते हैं.

हनुमान मंदिर से जुड़ी विशेष मान्यताएं
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को मंदिर में नतमस्तक होना पड़ता है, अन्यथा उन्हें वाहन से ही माफी मांगनी पड़ती है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस घाटी से गुजरने के बाद कोई दुर्घटना नहीं होती, भले ही घाटी में तीखे मोड़ और गहरी खाइयां हों, फिर भी लोग सुरक्षित सफर तय करते हैं.

घाटी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
मंदिर के पुजारी कृष्ण कुमार ने लोकल 18 को बताया कि रीवा से लगी कई घाटियां हैं, लेकिन सबसे खूबसूरत बरदहाई घाटी है. घाटी के ऊपर से देखने पर सड़कें सांप जैसी आकृति बनाती हैं, और यहां 32 खतरनाक मोड़ हैं. पहले यह घाटी वीरान हुआ करती थी और शाम 5 बजे के बाद लोग यहां आने से डरते थे. लेकिन समय के साथ बदलाव हुए और मंदिर की स्थापना के बाद अब यहां रात में भी हलचल रहती है.

बरदहाई घाटी के नाम की कहानी
इस घाटी का नाम भी एक रोचक कहानी से जुड़ा है. पहले जब इस घाटी में सड़कें नहीं थीं, तब केवल बैलगाड़ियों का चलन था. बैलों के चलते घाटी में लीक बन गई थी, और बैल को स्थानीय भाषा में “बरदा” कहा जाता है. इसीलिए इस घाटी का नाम धीरे-धीरे “बरदहाई घाटी” पड़ गया.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

October 6, 2024, 11:52 IST

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