डिविडेंड vs बायबैक : स्‍टॉक्‍स में पैसा लगाने वालों की किससे लगती है लॉटरी?

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हाइलाइट्स

डिविडेंड एक कंपनी द्वारा अपने मुनाफे से शेयरधारकों को किए जाने वाला नियमित भुगतान होता है.शेयर बायबैक तब होता है जब कोई कंपनी बाजार से अपने शेयरों को वापस खरीदती है.डिविडेंड निवेशकों के लिए एक स्थिर आय स्रोत प्रदान करता है.

नई दिल्‍ली. भारतीय शेयर (Stock Market) बाजार ने पिछले एक साल में 20 फीसदी से ज्‍यादा की बढ़त दर्ज की है. सेंसेक्‍स और निफ्टी, दोनों बेचमार्क्‍स में जबरदस्‍त तेजी आई है. बहुत सी कंपनियों के शेयरों ने मल्‍टीबैगर रिटर्न देकर निवेशकों की जेबें भरी हैं. वहीं, डिविडेंड और शेयर बायबैक से भी शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को अच्‍छी-खासी कमाई हुई है. खासकर दीर्घकालिक निवेशकों के लिए ये दोनों विकल्प अधिक फायदेमंद साबित हो रहे हैं.

जब कंपनियों के पास अतिरिक्त नकदी होती है, तो वे अपने शेयरधारकों के लिए मूल्य सृजित करने के लिए डिविडेंड या शेयर बायबैक की घोषणा करती हैं. डिविडेंड एक कंपनी द्वारा अपने मुनाफे से शेयरधारकों को किए जाने वाला नियमित भुगतान होता है. शेयर बायबैक तब होता है जब कोई कंपनी बाजार से अपने शेयरों को वापस खरीदती है. इन दोनों में से निवेशकों और शेयरधारकों को किससे ज्‍यादा फायदा होता है, यह जानने से पहले हम यह समझते हैं कि शेयर बायबैक और डिविडेंड आखिर है क्‍या?

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डिविडेंड
डिविडेंड एक कंपनी द्वारा अपने मुनाफे से शेयरधारकों को किए जाने वाला नियमित भुगतान होता है. डिविडेंड आमतौर पर नकद के रूप में दिए जाते हैं, लेकिन कई बार अतिरिक्त शेयरों के रूप में भी प्रदान किए जा सकते हैं. यह निवेशकों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत होता है और कंपनी की वित्तीय स्थिरता का संकेत भी होता है.

डिविडेंड के लाभ

  • नियमित आय: डिविडेंड निवेशकों के लिए एक स्थिर आय स्रोत प्रदान करता है, जो उन्हें नियमित रूप से नकद प्राप्त करने की सुविधा देता है.
  • वित्तीय स्थिरता का संकेत: कंपनियां जो नियमित रूप से डिविडेंड देती हैं, वे आमतौर पर वित्तीय स्थिरता का संकेत देती हैं, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है.

शेयर बायबैक
जब कंपनी ओपन मार्केट में उपलब्ध शेयरों की संख्या को घटाने के लिए अपने बकाया शेयरों की खरीद करती है तो उसे बायबैक कहा जाता है.कंपनी कई वजहों से शेयरों की पुनर्खरीद करती है जैसे कि आपूर्ति घटाने के द्वारा उपलब्ध शेष शेयरों की वैल्यू को बढ़ाना या कंट्रोलिंग स्टेक अर्थात नियंत्रणकारी हिस्सेदारी से दूसरे शेयरधारकों को वंचित करना. इससे बकाया शेयरों की संख्या कम हो जाती है, जिससे प्रति शेयर आय (EPS) में वृद्धि हो सकती है और संभावित रूप से शेयर की कीमत भी बढ़ सकती है.

शेयर बायबैक के लाभ

  • शेयर मूल्य में वृद्धि: जब कंपनियां अपने शेयरों को वापस खरीदती हैं, तो इससे बाजार में उपलब्ध शेयरों की संख्या कम हो जाती है, जिससे शेष शेयरों का मूल्य बढ़ सकता है.
  • कर लाभ: शेयर बायबैक पर केवल कंपनी को टैक्स देना होता है, जबकि डिविडेंड पर निवेशक को भी टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। इस कारण से, बायबैक को अधिक कर-कुशल माना जाता है.
  • प्रबंधन नियंत्रण: बायबैक से प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़ती है, जिससे कंपनी पर उनका नियंत्रण मजबूत होता है और निर्णय लेने में सहमति की संभावना बढ़ती है.

निवेशक के लिए कौन सा विकल्‍प बेहतर?
डिविडेंड और बायबैक के फायदों को समझने के बाद, अब सवाल यह उठता है कि निवेशकों के लिए कौन सा विकल्प बेहतर है. यह पूरी तरह से निवेशक के लक्ष्यों, कर स्थिति और बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है. अगर निवेशक को नियमित आय की आवश्यकता है, तो डिविडेंड उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। वहीं, अगर निवेशक दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, तो बायबैक एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

Tags: Business news, Share market, Stock market

FIRST PUBLISHED :

October 2, 2024, 13:52 IST

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