पॉलीहाउस में खीरे की खेती
श्रीनगर गढ़वाल. इन दिनों पॉली हाउस में किसान विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें ऑफ-सीजन में भी अच्छा मुनाफा हो रहा है. कुछ सब्जियां, जिनकी खेती किसान पॉली हाउस में कर सकते हैं, उनमें टमाटर, शिमला मिर्च, और खीरा जैसी सब्जियां शामिल हैं. इन सब्जियों की मांग पूरे वर्ष बाजार में बनी रहती है.खीरा एक ऐसी सब्जी है जिसका हर मौसम में सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में, अगर किसान ऑफ-सीजन में खीरे की खेती पॉली हाउस में करें, तो यह उनके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है.
गढ़वाल विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ ईश्वर सिंह ने लोकल 18 को बताया कि खीरे की ऐसी प्रजाति चुननी होती है जो गायनोशियस नेचर की और बीज रहित हो. पॉली हाउस में खीरे की दो किस्में लगाई जाती हैं, जैसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, दिल्ली द्वारा विकसित पूसा कुकुम्बर सीडलेस-6 और पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित पंत पॉली हाउस कुकुम्बर-1 ये खीरे की किस्में बीजरहित होती हैं और पॉली हाउस में उगाई जाती हैं. इन किस्मों में पर परागण नहीं होता, इसलिए ये पॉली हाउस में अच्छी पैदावार देती हैं.
2.5 गुना बढ़ जाएगा उत्पादन
ईश्वर सिंह बताते हैं कि किसानों को खीरे के बीज की बुवाई पॉली बेग में करनी होती है. इसके बाद जब 2 से 3 पत्तियां आ जाती हैं, तब इन्हें पॉली हाउस में स्थानांतरित करना होता है. इसके लिए एक छोटा सा गड्ढा करके उसमें कंपोस्ट डालकर पौधा रोपित किया जाता है. यह सामान्य खीरे की फसल की तरह ही 50-60 दिनों में तैयार हो जाती है, लेकिन सामान्य फसल की तुलना में यह अधिक उपज देती है. सामान्य खीरे की फसल 1 हेक्टेयर में 60 टन तक होती है, जबकि पॉली हाउस में यह उपज 150 टन तक हो जाती है.
इन बातों का रखें ध्यान
ईश्वर सिंह बताते हैं कि पॉली हाउस में फसल लगाते समय तापमान का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है. यदि तापमान बढ़ रहा हो, तो पॉली हाउस के साइड कवर को गिराकर तापमान को नियंत्रित किया जाता है, ताकि उचित तापमान बना रहे. बेल वाली सब्जियों के लिए पॉली हाउस में स्टैकिंग (सहारा देना) और अनावश्यक भागों को हटाना जरूरी होता है, ताकि बेल सही ढंग से बढ़ सकें और बेहतर उपज दे सकें.
Tags: Agriculture, Local18, Pauri Garhwal News, Pauri news, Uttarakhand news
FIRST PUBLISHED :
October 2, 2024, 15:56 IST