जानकी स्थान मंदिर में स्थापित बापू की प्रतिमा
सीतामढ़ी:- माता सीता की धरती सीतामढ़ी में एक स्थान ऐसा भी है, जहां देवी जानकी और भगवान श्रीराम के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं. शहर के प्रसिद्ध जानकी मंदिर के रजत द्वार, अर्थात प्रवेश द्वार पर सफेद संगमरमर से बनी बापू की प्रतिमा है. प्रतिमा को प्रतिदिन स्नान कराने के साथ-साथ धूप, दीप व अगरबत्ती दिखाकर प्रसाद का भोग भी लगाया जाता है. यह सिलसिला यहां बारहों मास और हर रोज चलता है.
बताया जाता है कि यहां करीब 50 साल पहले राष्ट्रपिता की प्रतिमा स्थापित की गई थी, तब से रोज यहां पूजा-अर्चना की जा रही है. खासकर बच्चों के बीच मंदिर में बापू की पूजा-अर्चना के दौरान खासा उत्साह दिखता है. हर दिन मंदिर आने वाली महिलाएं व बच्चे देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के साथ बापू को भी पूजते हैं.
50 साल पहले हुई थी स्थापना
स्थानीय डॉ. राजीव कुमार काजू Local 18 को बताते हैं कि जानकी स्थान के महंत स्व. रघुनाथ दास जी ने मंदिर के जीर्णोद्धार के समय 50 साल पहले बापू की प्रतिमा की स्थापना करायी थी, उस समय महंत रघुनाथ दास जी महाराज कांग्रेस पार्टी से एमएलसी भी थे. गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित महंत ने बापू की प्रतिमा स्थापित कराने के बाद से माता सीता और भगवान राम की तरह ही बापू की प्रतिमा के सुबह में स्नान-ध्यान की परंपरा शुरू करायी. यह परंपरा आजतक जारी है.
ये भी पढ़ें:- गोला-बारूद की बारिश के बीच, आखिर बिहार का यह शख्स क्यों जा रहा इजरायल? बताई ये मजबूरी
भगवान की तरह ही भक्त करते हैं गांधी जी की पूजा
अभी के महंत विनोद दास ने लोकल 18 को बताया कि जितना ध्यान लगाकर मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भगवान की पूजा करते हैं, उतनी ही श्रद्धा से बापू की भी पूजा करते हैं. देश को गुलामी की जंजीर से मुक्त कराने में गांधी जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, इसलिए वे पूजनीय हैं. स्थानीय समाजिक कार्यकर्ता अभिषेक मिश्रा उर्फ शिशु ने कहा कि देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले आदरणीय और पूजनीय होते हैं. गांधी जी एक ऐसे महान पुरुष थे, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है.
Tags: Bihar News, Local18, Mahatma gandhi
FIRST PUBLISHED :
October 2, 2024, 18:01 IST