डॉक्टर को सैल्यूट! 10 साल पहले ट्रेन एक्सीडेंट कट गए दोनों हाथ का ट्रांसप्लांट

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Last Updated:January 31, 2025, 23:20 IST

26 Years Old Gets New Pair of Hands: इसलिए तो डॉक्टर को भगवना का रूप कहा जाता है. 18 साल के एक लड़के के भयंकर ट्रेन एक्सीडेंट में दोनों हाथ कट गए थे . 10 साल बाद डॉक्टर की मदद से इस युवा को दोनों हाथ मिल गए.

डॉक्टर को सैल्यूट! 10 साल पहले ट्रेन एक्सीडेंट कट गए दोनों हाथ का ट्रांसप्लांट

कंधे तक कटे दोनों हाथों का सफल ट्रांसप्लांट. (सांकेतिक तस्वीर)

26 Years Old Gets New Pair of Hands: डॉक्टर को भगवान का रूप यूं ही नहीं कहा जाता है. इसे आप करिश्मा कहे या चमत्कार लेकिन सच यह है एक भयंकर ट्रेन हादसे में अपने दोनों हाथ खो चुके 26 साल के हृतिक सिंह को डॉक्टरों ने नया जीवनदान दे दिया है. अब उनके दोनों हाथ दोबारा आ गए हैं. डॉक्टरों ने 15 घंटे की जटिल सर्जरी के बाद हृतिक के दोनों हाथों का ट्रांसप्लांट कर दिया है. हृतिक की कहानी बेहद संघर्ष और परिवर्तन की है. पिछले 10 साल से उनकी दर्दनाक भरी जिंदगी ने एक बार फिर यू टर्न ले लिया है और वे अब अपने दोनों हाथों के साथ एक उज्जवल भविष्य की ओर यात्रा शुरू कर रहे हैं.

हृतिक सिंह की दर्दनाक कहानी
टीओआई की खबर के मुताबिक हृतिक सिंह की इतनी दर्दनाक कहानी है कि आपके आंखों से आंसू निकल आएंगे. वे अपने परिवार का इकलौता बच्चा है. सब कुछ उनका किसी तरह चल रहा था कि लेकिन 2016 में, सिर्फ 18 साल की उम्र में हृतिक सिंह परिहार का जीवन में एक हादसे ने उन्हें दुख के भयंकर दलदल में धकेल दिया. जब वह इंदौर से मुंबई के बीच ट्रेन यात्रा कर रहे थे तभी पुणे के चिंचवाड़ स्टेशन पर ट्रेन बदलते समय हृतिक को धक्का लग गया और वह दो ट्रेनों के बीच गिर गए. इस हादसे में उनके दोनों हाथों को कंधे तक काटना पड़ा. जिंदगी बच गई लेकिन इसके बाद कितने कष्ट झेलने पड़े होंगे, किस शारीरिक, मानसिक और आर्थिक चुनौतियों से गुजरना पड़ा होगा इसकी आप सहज ही कल्पना कर सकते हैं. हृतिक अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए एकमात्र कमाने वाले शख्स थे.

बिना हाथ इंजीनियर की नौकरी पाई
हृतिक बेहद साधारण परिवार का है. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी भी नहीं थी. लेकिन हृतिक ने जो साहस दिखाया वो अकल्पनीय है. जब हृतिक का एक्सीडेंट हुआ था तब वह सिर्फ 18 साल के थे. इसके बाद सभी चुनौतियों का सामना करते हुए वे अपनी शिक्षा पूरी की और इंजीनियर की नौकरी प्राप्त की. अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए एकमात्र कमाने वाले हृतिक ने अपने पैरों का इस्तेमाल करके वे सब कुछ किया जो कोई हाथ वाला करता है. दैनिक कार्यों में माहिर होने के बाद वे पैर से लैपटॉप और मोबाइल फोन भी चला लेते थे. उनकी कमाई से परिवार चलता था. वे सामान्य जीवन जीने लगे और हर दिन के काम को करने की क्षमता प्राप्त करना चाहते थे. लेकिन वे अपने सपनों को उड़ान देने के लिए इससे ज्यादा चाहत रखते थे. फिर उन्होंने अपने हाथों को लगाने की ठान ली.

दुनिया का अनोखा ट्रांसप्लांट
कई महीनों के बाद उनके हाथ के लिए एक मैचिंग डोनर मिला. अब उनका सपना सच होने वाला था. ग्लेनईगल्स अस्पताल, परेल, मुंबई में प्लास्टिक, हैंड, रीकंस्ट्रक्टिव माइक्रो सर्जरी और ट्रांसप्लांटेशन के प्रमुख डॉ. नीलेश सतभाई ने उनके इस सपने को साकार कर दिया. डॉ. नीलेश भाई और उनकी टीम ने 15 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उनके दोनों हाथों को ट्रांसप्लांट करने का जटिल काम कर दिया. हृतिक के हाथों का ट्रांसप्लांट करने के लिए यह जरूरी थी कि उन्हीं के साइज का कोई आदमी हो जिनके हाथ भी उतनी ही लंबाई का हो. अंततः इंदौर के ही एक 69 वर्षीय व्यक्ति के हाथ हृतिक से मैच कर गया और उनके हाथों को हृतिक में ट्रांसप्लांट कर दिया गया. उनकी सर्जरी 30 दिसंबर 2024 को शुरू हुई और नए साल के पहले दिन शाम तक पूरी हो गई. इसमें 15 घंटे का समय लगा. डॉ. निलेश सतभाई ने कहा, हृतिक का मामला हाई लेवल के ऑर्गेन ट्रांसप्लांट का था. यह अनोखा भी था और चुनौतीपूर्ण भी. हालांकि, मल्टीस्पेशिलिस्ट डॉक्टरों की टीम ने ब्लड वैसल्, नसें और हड्डियों को सटीकता से जोड़ने में सफल हुए. अब हृतिक को अपने दोनों हाथों से स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर मिला है. इस स्तर पर हाथों का ट्रांसप्लांट अत्यधिक दुर्लभ है. पुरी दुनिया में कुछ ही मामलों में ऐसा किया गया है. यह ट्रांसप्लांट मील का पत्थर है. उम्मीद है एक साल के अंदर उनके हाथ में सब कुछ ठीक हो जाएगा.

हृतिक ने कहा मेरे पास शब्द नहीं
हृतिक के लिए यह सर्जरी जीवन को बदलने वाली साबित हुई है. हृतिक ने बताया कि अपने हाथों को खोना एक भयंकर अनुभव था. ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरी जिंदगी रुक गई हो. हर काम, चाहे वह कितना भी छोटा हो, एक चुनौती बन गया था. मैं अक्सर सोचता था कि क्या मैं कभी फिर से सामान्य जीवन जी सकूंगा लेकिन मैं हार मानना नहीं चाहता था. मैंने कई सालों तक सामान्य, खुशहाल जीवन जीने का सपना देखा था. मुझे लगता है जैसे मुझे दूसरा मौका मिल गया है. मुझे लगता है अब मैं फिर से सपना देख सकता हूं, अपने लक्ष्यों की ओर काम कर सकता हूं और अपने परिवार को देख सकता हूं, जैसे मैं हमेशा चाहता था. मैं इतना अभिभूत हूं कि मेरे पास डॉक्टरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है. मैं डोनर परिवार का शुक्रिया अदा करता हूं उन्होंने इस कठिन समय में मुझे असाधारण उपहार दिया. उन्होंने मुझे एक बार फिर जीवन को अपनाने का अवसर दिया है. मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा.

First Published :

January 31, 2025, 23:20 IST

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