दरवाजे पर श्मशान की दस्तक...4 कांधे का झमेला खत्म, आगंन में होगा अंतिम संस्कार

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त्रिशूर: केरल जैसे घनी आबादी वाले राज्य में जहां भूमि उपयोग पर कई प्रतिबंध हैं. दफनाने या श्मशान घाट के लिए जगह निर्धारित करना पिछले कुछ सालों में एक समस्या बन गई है. हाल के समय में चर्च के कुछ हिस्सों ने भी दाह संस्कार के लिए मंजूरी दी है जिससे यह पता चलता है कि राज्य में जमीन को लेकर कितनी दिक्कत है.

इस समय, त्रिशूर की एक स्टार्टअप कंपनी ने एक मोबाइल श्मशान घाट बनाया है, जिसे कहीं भी ले जाया जा सकता है, यहां तक कि पहाड़ी क्षेत्रों में भी इस मोबाइल श्मशान घाट को ले जाया जा सकता है. यह मोबाइल श्मशान घाट एक ‘ग्रीन’ ऑप्शन होने का दावा भी करता है. इस आइडिया के पीछे बिजू पॉलोस हैं, जो मैन ऑफ स्टील के स्टार्टअप यूनिट के चीफ भी हैं. त्रिशूर मुख्यालय वाली कंपनी स्टार चेयर मैन्युफैक्चरर्स के साथ मिलकर इस स्टार्टअप पर काम कर रही है.

किस-किस चीज से मिलकर बनी है ये मोबाइल श्मशान घाट
मोबाइल यूनिट को एक विशेष जर्मन धातु का उपयोग करके बनाया गया है, जो स्टेनलेस स्टील, क्रोमियम को मिलाकर बनाया गई है. आमतौर पर इस टेक्नोलॉजी का यूज अंतरिक्ष यान में उपयोग किया जाता है. गैस लाइन को लेटेस्ट टेक्नीक का यूज करके डिजाइन किया गयाहै.

सेकंडों में 1300 डिग्री तक बढ़ जाएगा तापमान
पॉलोस ने बताया कि मोबाइल यूनिट में लगे ब्लोअर्स को चलाने के लिए थोड़ी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होगी या पोर्टेबल जनरेटर का भी उपयोग किया जा सकता है. विशेष रूप से डिजाइन किए गए बर्नर, गैस लाइन और ब्लोअर्स सुनिश्चित करते हैं कि यूनिट का तापमान सेकंडों में 1,300 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाए. इससे गैस की खपत और दाह संस्कार के लिए आवश्यक समय कम हो जाता है.

बस 45 मिनट में दाह संस्कार
एक शरीर को 7 किलोग्राम गैस का उपयोग करके 45 मिनट में दाह संस्कार किया जा सकता है. इसके बाद थोड़ी मात्रा में राख बचेगी. मोबाइल यूनिट धुआं या धूल नहीं छोड़ेगी और इससे प्रदूषण कम होगा. इसे अपने घर के परिसर में भी दाह संस्कार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मोबाइल यूनिट का वजन 160 किलोग्राम है और इसे चार भागों में अलग करके ले जाया जा सकता है.

अक्टूबर में 20 तैयार मोबाइल श्मशान घाटों का एक बैच विजयवाड़ा भेजा गया था. कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि पोर्टेबल श्मशान घाट महामारी के दौरान भी उपयोगी हो सकते हैं क्योंकि इन्हें बिना किसी समस्या के कहीं भी ले जाया जा सकता है. पूर्व एलएसजीडी सचिव टीके जोस ने कहा कि पोर्टेबल श्मशान घाट केरल में एक स्वागत योग्य विकास होगा, क्योंकि कई स्थानीय निकायों को श्मशान घाट स्थापित करने के लिए जगह सुरक्षित करने में कठिनाई हो रही है। पोर्टेबल यूनिट पहाड़ी क्षेत्रों और तटीय क्षेत्रों में उपयोगी होगी जहां जल स्तर ऊंचा है, जोस ने कहा, जो केरल राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष भी हैं.

Tags: Kerala News

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 10:50 IST

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