भरतपुर : भरतपुर के पना गांव के एक किसान ने अपने फार्म हाउस मे घास-फूस और बांस का उपयोग कर देसी झोपड़ियां बनाई हैं, जो दिखने में सुन्दर और पर्यावरण के अनकूल होती है. यह झोपडी राजस्थानी कल्चर को दर्शाती है. किसान का कहना है कि इस झोपडी कि एक खास बात ये है कि ये झोपड़ियां सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडी रहती हैं, जिससे ग्रामीण जीवन में नवाचार की झलक मिलती है.
किसान कमल ने लोकल 18 को बताया कि इन झोपड़ियों का निर्माण अपने खेत में उगने वाले प्राकृतिक संसाधनों से किया है. जैसे घास, बांस, खरपतवार और मिट्टी एवं गाय के गोबर से तैयार की जाती है. ये झोपडी ग्रामीण क्षेत्र मे उपलब्ध होने वाली सामग्रियों का उपयोग कर तैयार की जाती है. खास बात यह है कि इनके निर्माण में एक रुपए का भी खर्च नहीं हुआ है. ये झोपड़ियां किसान के फार्म हाउस पर बनाई गई हैं. जो आसपास के गांवों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
इन झोपड़ियों को गाय के गोबर से लीपा जाता है. जो राजस्थानी संस्कृति और पारंपरिक निर्माण शैली को दर्शाती है. गाय के गोबर से झोपड़ियां को लीपने से ये मजबूत और टिकाऊ बनती हैं, साथ ही यह प्रक्रिया झोपड़ियों को प्राकृतिक तरीके से कीटाणु मुक्त और मौसम के अनुकूल बनती है. किसान कमल मीना का यह नवाचार न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाता है. बल्कि कृषि क्षेत्र में एक नई सोच को भी दर्शता है. इसके साथ ही एग्रीकल्चर के छात्र इन झोपड़ियों को देखने और उनके निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए यहां आते हैं.
इन झोपड़ियों का निर्माण इस बात का उदाहरण है कि कैसे कम संसाधनों में टिकाऊ और उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं. यह पहल पर्यावरण संरक्षण और राजस्थानी कल्चर को दर्शाती है. किसान की इस पहल ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों को आकर्षित किया है. इसके साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद की है. अब यह पहल अन्य किसानों और ग्रामीण परिवेश के लोगों को प्रेरणादायक है.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 21:49 IST