400 साल पुरानी पादुका
मोहन ढाकले/बुरहानपुर: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित बालाजी महाराज का मंदिर ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है. यह मंदिर न केवल बालाजी महाराज की उपासना के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां 400 साल पुरानी पादुका भी विशेष पूजन का केंद्र है. यह पादुका रत्नाकर महाराज की है, जिन्होंने तिरुपति से बालाजी महाराज की प्रतिमा को बुरहानपुर लाया था. इस पादुका की पूजा और अभिषेक का आयोजन हर साल धनतेरस के दिन किया जाता है, और यहां की 11वीं पीढ़ी आज भी इस परंपरा को संजोए हुए है.
400 साल पुरानी पादुका: बालाजी महाराज के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र
बालाजी महाराज के इस ऐतिहासिक मंदिर में रत्नाकर महाराज की पादुका आज भी मुख्य आकर्षण का केंद्र है. रत्नाकर महाराज, जिन्होंने तिरुपति बालाजी से बालाजी महाराज की प्रतिमा को पैदल यात्रा करते हुए बुरहानपुर लाया था, उनकी यह पादुका लकड़ी की बनी हुई है. यह पादुका 400 साल पुरानी होने के बावजूद आज भी मंदिर में सुरक्षित रखी हुई है. मंदिर के पुजारी मोहन बालाजी वाले और चंद्रकांत बालाजी वाले ने बताया कि हर साल धनतेरस के दिन इस पादुका का अभिषेक और विशेष पूजा की जाती है. इस पादुका को कांच के एक बॉक्स में रखा गया है, और भक्तों के दर्शन के लिए इसे बालाजी महाराज की प्रतिमा के पास रखा जाता है.
रत्नाकर महाराज की पादुका की कहानी
मंदिर के पुजारी चंद्रकांत बालाजी वाले ने लोकल 18 को बताया कि रत्नाकर महाराज उनके पूर्वज थे, जो तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए गए थे. तिरुपति में उन्हें एक स्वप्न में बालाजी महाराज की प्रतिमा के दर्शन हुए. उन्होंने बाद में उसी स्थान पर जाकर प्रतिमा को पाया और उसे बुरहानपुर लाने का निर्णय लिया. रत्नाकर महाराज पैदल यात्रा करते हुए बालाजी महाराज की प्रतिमा को बुरहानपुर लेकर आए और इसी मंदिर में प्रतिमा को स्थापित किया. तब से रत्नाकर महाराज की इस पादुका को मंदिर में विशेष सम्मान के साथ पूजा जाता है.
धनतेरस पर होता है विशेष अभिषेक
धनतेरस के दिन इस पादुका का अभिषेक और विशेष पूजा की जाती है. रत्नाकर महाराज की यह पादुका न केवल उनके वंशजों के लिए बल्कि पूरे बुरहानपुर के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है. इस पादुका के दर्शन करने के लिए हर साल दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. भक्त मानते हैं कि इस पादुका के दर्शन से उन्हें बालाजी महाराज का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
400 साल की परंपरा को संजोए हुए 11वीं पीढ़ी
बुरहानपुर के बालाजी मंदिर में रत्नाकर महाराज की यह पादुका उनके वंशजों द्वारा संजोई जा रही है. यह मंदिर उनकी 11वीं पीढ़ी द्वारा संभाला जा रहा है, जो हर साल इस पादुका की पूजा और अभिषेक का आयोजन करते हैं. रत्नाकर महाराज की इस पादुका की पूजा अर्चना की परंपरा को पीढ़ियों से निभाया जा रहा है, और भक्तों की आस्था इसमें निरंतर बनी हुई है.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 13:46 IST
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