रांची. उबड़-खाबड़ खेत को समतल बनाना बेहत खर्चीला काम है. किराए पर ट्रैक्टर लाओ, फिर मजदूर लगाओ और कई दिन की मशक्कत के बाद खेत की मिट्टी मुलायम हो पाती है. खासतौर से झारखंड में ऐसे उबड़-खाबड़ खेत ज्यादा देखने को मिलते हैं. छोटा नागपुर में जमीन काफी ऊपर-नीचे है. ऐसे में इसे प्लेन जमीन बनाने में किसानों को काफी खर्च करना पड़ता है. लेकिन, अब इस चुनौती को एक मशीन आसानी से हल कर देगी.
झारखंड की राजधानी रांची के बरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा एक यंत्र तैयार किया गया है. इसका नाम है लैंड लेवलर है. इससे जमीन समतल करने का काम जो 4-5 दिनों तक होता था, अब कुछ ही देर में पूरा हो जाएगा. इससे न सिर्फ किसानों के समय की बचत होगी, बल्कि काम करने में काफी सहूलियत होगी. मजदूरी कम लगेगी और खर्च भी बच सकेगा. हालांकि, इस मशीन को खरीदने में एक बाद खर्च करना पड़ेगा.
साढ़े तीन एकड़ जमीन का काम घंटों में
कृषि टेक्नीशियन दिलीप ने इस यंत्र की खासियत बताई. कहा, हमारा जो छोटा नागपुर का पठार है, वह काफी ऊपर-नीचे है. यहां पर कहीं भी जमीन समतल नहीं दिखेगी. कहीं पर ऊंचा पहाड़ जैसा मिट्टी तो कहीं एकदम नीचे. ऐसे में जमीन को समतल करने में काफी समय लग जाता है. इस मशीन द्वारा 3.5 एकड़ जमीन को मात्र दो से तीन घंटे में किसान समतल कर सकेंगे.
ऐसे काम करेगा यंत्र
आगे बताया, यह यंत्र ट्रैक्टर से चलता है. इस यंत्र को ट्रैक्टर में बांध देना है, जिसके लिए जरूरी उपकरण लगे हुए हैं. फिर इस यंत्र में एक बड़ा सा लेवलर लगा है, जो मिट्टी को काटकर उसे समतल करने का काम करता है. यह ऑटोमेटिक गोल घूमकर जमीन को एक लेवल में ला देता है. ऐसे में किसानों को बीज बोने और खेती करने में बेहद आसानी होगी.
यंत्र की इतनी कीमत
वहीं, कीमत की बात करें तो इस मशीन की कीमत ₹40,000 है. दिलीप बताते हैं, चार-पांच किसान मिलकर इस मशीन को खरीद सकते हैं. ऐसे में उन्हें काफी कम कीमत में यह मिल जाती है. क्योंकि, इससे महज कुछ घंटे का काम होता है. अगर आपको यह मशीन लेनी है तो रांची के बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की वर्कशॉप में पहुंच जाएं.
FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 17:28 IST