रायपुर : धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान की खेती करने वाले किसानों को तरह तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ता है. प्रदेश में इन दिनों खरीफ धान की फसल तैयार हो रही है. इससे पहले किसानों को एक चिंता बहुत सता रही है. दरअसल, धान की फसल में बालियों में कीट प्रकोप का खतरा बढ़ गया है. धान की बालियों में पेनिकल माइट नामक समस्या दिखाई देने लगा है. इसे लाल मकड़ी भी कहा जाता है. इसका प्रकोप किसानों के लिए चिंता का सबब है. ये मकड़ी सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देती पर बालियों में दूध भरने के समय में ही फसल को चट कर जाती है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसान इन दिनों माइट की समस्या से जूझ रहे हैं. पिछले तीन चार सालों से यह समस्या काफी बढ़ रहा है. यह कीट के श्रेणी में नहीं आती है सामान्य आंख से दिखाई नहीं देती है. 20X या 40X लेंस से दिखाई देता है. यह धान के दाने में बदरा कर देता है.
फफूंद से मिलता जुलती यह बीमारी किसानों की फसल चौपट कर देती है. इसके प्रकोप से बालियों में दूध भराई नहीं हो पाता है. इसके कारण फसल में नुकसान बहुत तेजी से होता है. इसके लिए खेत में प्रोपिकोनाजोल, डाइकोफॉल, इथियान, हेक्जाथाइजोक्स, स्पाईरोमेसीफीन का छिड़काव करने से माइट पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
कीटनाशक का छिड़काव करने पर किसान भाइयों को एक स्प्रे टिलरिंग अवस्था पर करनी चाहिए. एक स्प्रे बाली निकलने के पूर्व अवस्था पर करने से किसको माइट से बचाया जा सकता है, नियंत्रण किया जा सकता है. इसके रोकथाम के लिए यह भी ध्यान देना है कि पिछले वर्ष भी तो नहीं यह समस्या नही थी. ऐसा होने पर यह विप्रोंन जोन में आता है. सावधानी के तौर से छाया वाले क्षेत्र में मोबाइल के टॉर्च से अंधेरे में देखने से छोटा छोटा मकड़ी जैसे कीड़े दिखाई देते हैंतो समझिए उसमें माइट का आक्रमण हो चुका है.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 22:43 IST