गाजीपुर के रेवतीपुर मंदिर में मां भगवती का चमत्कार और समरसता का प्रतीक।
Ghazipur: हर मंदिर का अपना इतिहास और विशेषता होती है. इनकी खासियत ही भक्तों को दरबार तक खींच लाती है. ऐसा ही एक मंदिर है रेवतीपुर में. गाजिपुर जिले के रेवतीपुर गांव का मां भगवती का मंदिर एक ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है, जो धार्मिक आस्था के साथ-साथ क्षेत्रीय संस्कृति और भाईचारे का भी प्रतीक माना जाता है. क्षेत्रीय मान्यताओं के अनुसार, मुस्लिम शासन काल के दौरान, 1707 ईस्वी में काम मिश्र और धाम मिश्र ने फतेहपुर सीकरी से मां भगवती की प्रतिमा को लाकर इस मंदिर में स्थापित किया था, तब से इस मंदिर में मां की पूजा की जा रही है.
ब्रिटिश काल और चमत्कारिक घटना
मंदिर के बारे में कथा प्रचलित है कि, ब्रिटिश हुकूमत के समय जब अकाल के कारण लोग भूख से मरने की कगार पर थे, तब भी ब्रिटिश शासन के अधिकारियों ने लोगों पर भारी कर और लगान लगाने का आदेश दिया. इस स्थिति में मां भगवती ने वृद्धा का रूप धारण करके पूरे गांव का लगान खुद जाकर अंग्रेजों के पास चुकाया और किसानों को इस मुसीबत से छुटकारा दिलाया.
मंदिर समरसता का प्रतीक
मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि बलिबंद खां नाम के पहलवान थे और वे मां के अनन्य भक्त थे. इनको भी मां ने स्वप्न में दर्शन दिए थे. इस प्रकार, यह मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि समरसता और भाईचारे का प्रतीक भी माना जाता है. यहां सभी वर्गों के लोग श्रद्धा से एकजुट होते हैं. इस मंदिर की पंचतलीय संरचना खास है और हर तल पर अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियों की नक्काशी कला लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है.
मंदिर के मुख्य पुजारी सुरेश पांडे ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं. यहां करीब 15 साल से अखंड ज्योति जल रही है. सुबह और रात में आरती होती है और रात की आरती में इतनी भीड़ लगती है कि पूरा मंदिर भर जाता है. भक्तों को मां पर अटूट विश्वास है.
मंदिर की भव्यता और वास्तुकला
भक्त बताते हैं कि मंदिर के खंभे, जिन पर मां की मूर्ति स्थापित है, उन्हें लोगों ने अपने कंधों पर उठाकर यहां पहुंचाया था क्योंकि उन दिनों यातायात के साधन नहीं थे. आज भी मंदिर की सजावट और भव्यता ऐसी है कि इसकी आकृति दूर से ही दिखाई देती है. हर सुबह मंगला आरती के साथ मंदिर के कपाट खुलते हैं और दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर परिसर में हर समय रौनक रहती है और यहां आने वाले श्रद्धालु मां भगवती के आशीर्वाद से अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि क्षेत्र की संस्कृति और एकता का प्रतीक भी है.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 12:06 IST