केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने रविवार को कहा कि पुराने प्रत्यक्ष कर कानून की समीक्षा कर रही आयकर विभाग की आंतरिक समिति को कानून की भाषा सरल बनाने, प्रावधानों को बेहतर ढंग से पेश करने और संभावित कराधान जैसी योजनाओं का दायरा बढ़ाने के लिए 'बड़े पैमाने पर' सुझाव मिले हैं। अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि समीक्षा पैनल ने ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कुछ अन्य देशों में की गई इसी तरह की समीक्षा कार्रवाई से जुड़े विचार-विमर्श और प्रक्रियाओं का भी अध्ययन किया।
पिछले साल हुई थी समीक्षा की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल के अपने बजट भाषण में आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा किए जाने की घोषणा की थी। इस समीक्षा का उद्देश्य इस भारी भरकम अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाना था, ताकि कर विवादों में कमी आए और करदाताओं को अधिक कर निश्चितता मिले। इसके बाद आयकर विभाग की एक आंतरिक समिति बनाई गई जिसने जनता से चार श्रेणियों- भाषा का सरलीकरण, मुक़दमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी और अनावश्यक या अप्रचलित प्रावधान पर सुझाव आमंत्रित किए थे।
सरकार ला रही है नया आयकर विधेयक
समीक्षा समिति को विभिन्न हितधारकों से आयकर कानून में संशोधनों से जुड़े करीब 6,500 सुझाव मिले हैं। सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार आने वाले सप्ताह में संसद में नया आयकर विधेयक पेश करेगी, जो 1961 के आयकर कानून की जगह लेगा। इस बारे में अग्रवाल ने कहा कि आंतरिक समिति को अधिनियम की भाषा के सरलीकरण, विभिन्न प्रावधानों की संरचना के बारे में सुझाव मिले और संभावित कराधान लागू होने की संभावना वाले क्षेत्रों को लेकर बड़े पैमाने पर सुझाव मिले। संभावित कराधान योजना छोटे करदाताओं को कुछ परिस्थितियों में नियमित बही-खाता बनाए रखने के थकाऊ काम से राहत देने का काम करती है। इस योजना को चुनने वाला व्यक्ति एक निर्धारित दर पर आय घोषित कर सकता है और इसके बदले में उसे ऑडिट के लिए बही-खाता रखने से राहत मिलती है। सीबीडीटी प्रमुख ने नए आयकर विधेयक के बारे में कहा, "इसे जिस तरह से तैयार किया गया है, वह करदाता के लिए वास्तव में अधिनियम के प्रावधानों की समझ को आसान बनाना है। इसके अलावा इसमें कुछ पुराने प्रावधानों को भी हटाया जा सकता है।"
(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)