नकलचियों की होगी अब हालत खराब! सरकार अब बदल रही अंग्रेजों के जमाने का कानून; पेपर लीक में आया नाम तो होगी उम्रकैद

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मुख्यमंत्री मोहन यादव- India TV Hindi Image Source : PTI मुख्यमंत्री मोहन यादव

उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार नकलचियों पर लगाम लगाने की तैयारी में जुट गई है। राज्य सरकार ने नकल, सामूहिक नकल और पेपर लीक जैसे मामलों में सजा बढ़ाने का फैसला लिया है। अगर अब नकल माफिया ऐसे किसी मामले में संलिप्त पाए गए तो उन्हें 10 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माना देना पड़ सकता है। मोहन यादव सरकार मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम में संशोधन होने जा रही है।

पहले थी ये सजा

राज्य में अब तक नकल करते या कराते पाए जाने पर आरोपी को 3 साल की जेल और 5000 रुपये तक का जुर्माना लगता था। अब सरकार ने इस कानून में संशोधन की तैयार कर ली है। राज्य सरकार ने पेपर लीक, सामूहिक नकल और परीक्षा की गोपनीयता भंग करने जैसे अपराधों को गंभीरता से लेते हुए सजा बढ़ाने पर फैसला किया है।

किन-किन परीक्षाओं में होगा लागू?

इस कानून के दायरे में मध्य प्रदेश बोर्ड, एमपीपीएससी और कर्मचारी चयन मंडल की सभी परीक्षाएं आएंगी। इस पर बात करते हुए अधिकारियों ने बताया कि पिछले कई सालों में एमपी बोर्ड व्यापम और एमपीपीएससी की परीक्षाओं में पेपर लीक और सामूहिक नकल की घटनाएं बढ़ती दिखी हैं। इसी कारण इस कानून में बदलाव किया जा रहा है।

ड्राफ्ट बनाकर तैयार

सरकार के आदेश पर शिक्षा विभाग ने इस कानून के लिए ड्राफ्ट बनाकर तैयार कर लिया है। शीतकालीन सत्र के दौरान इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा और इसे पास करवाया जाएगा।

नए कानून में क्या-क्या होगा बदलाव?

  • ड्राफ्ट में लिखा गया है कि यदि अब किसी ने पेपर लीक किया तो उसे उम्रकैद और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना होगा।
  • नकल करते हुए पकड़े जाने पर युवाओं को एक साल तक परीक्षा में बैठने की परमिशन नहीं दी जाएगा। हालांकि छात्र होने के नाते उन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा।

क्यों पड़ी इसे बदलने की जरूरत?

सरकार का मानना है कि इस कड़े कानून से प्रदेश में परीक्षा की पारदर्शिता बढ़ेगी और नकल, पेपर लीक की घटनाओं पर अंकुश लगेंगे। पिछले कई सालों में, कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक की कई घटनाएं सामने आती रहीं है, जिसके बाद राज्य के माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कुछ सख्त कदम उठाए थे, जैसे कि 10 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक जुर्माना। पर ये कदम भी पर्याप्त साबित नहीं लगे। बस इसी कारणवश राज्य की मोहन यादव सरकार ने कानून को और अधिक कड़ा बनाने का फैसला लिया।

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