Agency:News18 Bihar
Last Updated:January 31, 2025, 13:00 IST
यदि किसी महिला के बच्चे की मृत्यु पेट में यानि जन्म से पूर्व हो जाए या फिर उसकी आयु दो साल से कम हो, तो उसे जलाने की जगह दफनाया जाता है. पुराण कहता है कि इसका कारण यह है कि जब शिशु जन्म लेता है, उस दौरान उसके अ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- नवजात की मृत्यु पर उसे जलाने की बजाय दफनाया जाता है.
- गरुड़ पुराण के अनुसार, नवजात का आत्मा से मोह नहीं होता.
- मृत शिशु को भूमि में गाड़ना या जल में प्रवाहित करना चाहिए.
मधुबनी:- कहते हैं कि शरीर भले ही मर जाए, लेकिन आत्मा अमर होती है. इसीलिए हमारी संस्कृति यानी कि सनातन संस्कृति में मृत्यु के बाद शरीर को जलाने का विधि विधान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी नवजात शिशु की मौत के बाद उसे जलाने की जगह दफनाया क्यों जाता है, तो चलिए इस विषय पर शास्त्र और पुराण क्या कहता है, आज लोकल 18 आपको बताने वाला है.
क्या कहता है पुराण ?
ज्योतिष सह पंडित गिरधर झा बताते हैं कि गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी महिला के बच्चे की मृत्यु पेट में यानि जन्म से पूर्व हो जाए या फिर उसकी आयु दो साल से कम हो, तो उसे जलाने की जगह दफनाया जाता है. पुराण कहता है कि इसका कारण यह है कि जब शिशु जन्म लेता है, उस दौरान उसके अंदर लगाव भाव नहीं होता, जिसे मोहमाया कहा जा सकता है. इसके ना होने की वजह से अगर शिशु की मृत्यु हो जाती है, तो आत्मा शरीर से आसानी से दूरी बनाने में सफल रहती है. ऐसे में उसके बदले कुछ और होता है, वह है कि आप दूसरी विधि अपना सकते हैं. जो भी क्रिया होती है, वह सब एक जैसा ही होती है. दरअसल मृत शिशु के शरीर को भूमि में गड्ढा खोदकर उसमें गाड़ देना चाहिए अथवा जल में प्रवाहित कर देना चाहिए.
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क्यों जरूरी है दाह संस्कार ?
सनातन संस्कृति और गरुड़ पुराण के अनुसार पंडित गिरधर झा Local 18 को बताते हैं कि आत्मा का जुड़ाव व्यक्ति के साथ होता है. ऐसे में जब तक व्यक्ति का स्वरूप जीवित रहता है, शरीर धरती पर रहती है. उसके बाद आत्मा उससे जुड़ाव करने की कोशिश करती है. ऐसे में दाह संस्कार के बाद आत्मा प्रवेश नहीं कर पाती. हालांकि नवजात का आत्मा के साथ मोह नहीं बंध पाया होता है, इसलिए उसे दफनाया जाता है.
Location :
Madhubani,Bihar
First Published :
January 31, 2025, 13:00 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.