Last Updated:January 31, 2025, 15:13 IST
तमिलनाडु एक विकसित राज्य, जहां प्रति व्यक्ति आय 3.15 लाख रुपये है. लेकिन यहां एक नई आफत की आहट सुनाई दे रही है. अब राज्य में फर्टिलिटी रेट गिरकर 1.4 पर आ गई है. इससे भविष्य में आबादी स्थिर होगी और बुजुर्गों की ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- तमिलनाडु की फर्टिलिटी रेट 1.4 पर आ गई है।
- फर्टिलिटी रेट गिरने से भविष्य में आबादी स्थिर होगी।
- बुजुर्गों की संख्या बढ़ने से आर्थिक चुनौतियां बढ़ेंगी।
अपने देश में मुसलमान, आबादी और विकास की खूब बात होती है. एक बड़ा वर्ग विकास की राह पर देश के पिछड़ने के पीछे इन तीन चीजों को काफी अहम मानता है. खैर ये कितना अहम और ऐसी सोच कितनी जायज है, पुख्ता तौर पर इसको लेकर कोई टिप्पणी करना बहुत जटिल काम है. आज इसी संदर्भ में देश के एक सबसे विकसित राज्य की बात करते हैं. विकास के कई मानकों पर यह राज्य दुनिया के विकसित देशों को टक्कर देता है. इस राज्य में मुस्लिम आबादी भी अपेक्षाकृत काफी कम है. लेकिन, इस राज्य में एक नई आफत की आहट सुनाई दे रही है. इससे सरकार से लेकर पूरा समाज चिंतित है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की. यह देश का एक सबसे विकसित राज्य है. यहां की प्रति व्यक्ति आय 3.15 लाख रुपये सालाना है. जबकि औसत राष्ट्रीय आय का 1.75 लाख रुपये सालाना है. यानी तमिलनाडु में औसत राष्ट्रीय आय से करीब-करीब दो गुना इनकम है. इस सूची में सबसे निचले पायदान पर बिहार है, जहां के लोगों की औसत सालान आय मात्र 60 हजार रुपये है.
बात आबादी की
इस राज्य की आबादी करीब 7.21 करोड़ है. इसमें करीब 5.81 फीसदी यानी करीब 42.29 लाख आबादी मुस्लिम समुदाय की है. आज हम जो बात कर रहे हैं उसकी सीधे तौर पर मुस्लिम आबादी से कोई लेनादेना नहीं है. लेकिन, समाज में एक धारणा जरूर है.
हम बात कर रहे तमिलनाडु की फर्टिलिटी रेट की. इस वक्त तमिलनाडु विकास की राह पर सरपट दौड़ रहा है. लेकिन, यहां का समाज अब बच्चे पैदा करने से कतराने लगा है. ऐसा वहां के हर धर्म के मानने वाले लोगों में देखा जा रहा है. द हिंदू अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 2024 में तमिलनाडु में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर गिर गई. राज्य में पहली बार किसी एक साल में नौ लाख से कम बच्चे पैदा हुए हैं. 2024 में राज्य में कुल 8,42,412 बच्चे पैदा हुए. इस आधार पर राज्य की फर्टिलिटी रेट गिरकर 1.4 पर आ गई है.
2.1 फर्टिलिटी रेट जरूरी
जबकि जनसंख्या विज्ञानी यह सुझाव देते हैं कि किसी भी समाज में मौजूदा आबादी को बनाए रखने के लिए कम से कम 2.1 की फर्टिलिटी रेट चाहिए. फर्टिलिटी रेट का मतलब एक महिला के शरीर से पैदा होने वाले बच्चों से है. 1.4 फर्टिलिटी रेट का मतलब यह हुआ कि तमिलनाडु में एक महिला अब केवल 1.4 बच्चे को जन्म दे रही है. यह दर कई बेहद विकसित देशों की फर्टिलिटी रेट के बराबर है. आप इस बात की गंभीरता को इसी से समझ सकते हैं कि जापान में फर्टिलिटी रेट 1.26 है. यानी इस मामले में तमिलनाडु जापान को टक्कर दे रहा है.
अब रही बात कि इस घटनी फर्टिलिटी रेट का क्या असर होगा. दरअसल, इसका असर तुरंत देखने को नहीं मिलेगा. मगर यह ट्रेंड जारी रहा तो आने वाले समय में तमिलनाडु की आबादी पहले स्थिर होगी और फिर घटने लगेगी. साथ ही आबादी में बूढ़े लोगों का प्रतिशत तेजी से बढ़ेगा. इससे कमाई करने वाली युवाओं की संख्या कम होगी. इससे कुल मिलाकर राज्य की आर्थिक सेहत पर असर पड़ेगा. काम करने वाले लोगों की संख्या कम हो जाएगी. साथ ही बचे हुए युवाओं पर बुजुर्गों के देखभाल की जिम्मेदारी भी बढ़ेगी. कुल मिलाकर राज्य सरकार का भी स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर खर्च बढ़ेगा और उसकी कमाई घटेगी, क्योंकि उसके पास युवा आबादी कम होगी.
First Published :
January 31, 2025, 15:13 IST