रिपोर्ट- आर्या झा
मधुबनी: बिहार के मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के खोईर गांव के रहने वाले वैभव कुमार झा ने अपना करियर बदलकर एक नई दिशा में कदम रखा है. उन्होंने पहले कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बी.टेक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और उसके बाद एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की. कुछ समय बाद वैभव ने नौकरी छोड़कर अपने गांव वापस लौटने का निर्णय लिया. उन्होंने केले की खेती को अपने भविष्य के रूप में चुना और आज उनके पास 20 बीघे में केले का बाग फैला है.
वैभव ने 2018 में वैज्ञानिक तरीकों से केले की G9 वेराइटी की बागवानी शुरू की. उनका लक्ष्य था कि खेती को एक साल में लाभदायक बनाया जाए. उन्होंने न केवल अपने लिए बल्कि अपने गांव के अन्य युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर बनाए हैं. वर्तमान में वह 70 से 80 लाख रुपये प्रति वर्ष की आय प्राप्त कर रहे हैं. उनका टर्नओवर करोड़ों में है.
वैभव ने खेती की नई तकनीकों को अपनाया जिससे उनकी उपज में सुधार हुआ है. वह कहते हैं “शहर में रहना मेरे लिए मुश्किल था. मैं चाहता था कि मेरे गाँव में भी युवा विकास की दिशा में आगे बढ़ें.” उन्होंने बताया कि केले की खेती की शुरुआत करने के पीछे की मुख्य वजह यह थी कि इससे उन्हें जल्दी फल और आय प्राप्त हो सके.
लोकल 18 बात करते हुए वैभव बताते हैं कि बिहार के हर जगह उनके केले जाते हैं. उनका कहना है कि कई बार त्योंहार के समय में इतनी डिमांड होती है कि पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता है. प्रतिदिन सीजन में 400 से अधिक कार्टून पैक होकर केला जाता है. आज वैभव 20-25 स्थानीय युवाओं के साथ महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं, जो उनकी बागवानी के काम में सहायता करते हैं. उनकी मेहनत और लगन ने गांव के अन्य लोगों को भी प्रेरित किया है. वैभव की कहानी साबित करती है कि शिक्षा और तकनीकी ज्ञान का सही उपयोग करके किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है.
गांव में वैभव की पहचान केवल एक किसान के रूप में नहीं है बल्कि वह एक प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं. उनकी सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर दृढ़ संकल्प और सही दिशा में मेहनत की जाए तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है. वैभव ने साबित किया है कि गांव में भी सफलता हासिल की जा सकती है बशर्ते मन में ठान लेने की इच्छा हो.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 22:05 IST