परिजन जानकारी देते
सीतामढ़ी जिले के सुरसंड प्रखंड के मेघपुर गांव के 20 बच्चे समेत 32 लोगों को पंजाब के जालंधर में बंधक बनाया गया है. वहां सभी बच्चों को बंधक बनाकर मजदूरी कराई जा रही है और प्रताड़ित किया जा रहा है. इतना ही नहीं गांव में रह रहे परिजनों से बात भी नहीं करने दी जा रही है, जिससे पीड़ित परिवार बेचैन है. कुछ परिजनों ने बताया कि छठ से पहले बात हुई थी, लेकिन बीते एक महीने से कोई संपर्क नहीं है. बंधक बनाने की तब मिली जब जल्लादों के चंगुल से कुछ लोग बच कर गांव पहुंचे हैं, जिसके बाद पता चला कि सभी को बंधक बनाकर जबरन अधिक काम कराया जा रहा है और उन्हें मजदूरी भी नहीं दी जा रही है. इतना ही नहीं ठीक से दो वक्त का खाना भी नहीं मिल रहा है.
दो मंजिल से छलांग लगाकर भागा
वहां से निकले ट्रैक्टर ड्राइवर हरीशंकर मांझी ने बताया कि वह और उसके दो अन्य लोग दो मंजिल मकान से छलांग लगाकर भाग आए हैं. हरिशंकर ने बताया कि वह दो महीने पहले गांव के ही मुकेश नामक युवक के कहने पर और मुकेश के रिश्तेदार जो वहां ठेकेदारी करता है, उसके साथ पंजाब गया था. यहां से बोल कर ले जाया गया कि वहां आलू बिछना है और उसके बदले 12 हजार रुपए प्रति महीने दिया जाएगा. लेकिन, आज तक एक रुपया नहीं दिया गया. घर पर बात करने के लिए बोलते थे तो मारपीट किया जाता था. जिस जगह पर रखा गया था, वहां से निकलना मुश्किल था. चहारदीवारी पर करंट दौड़ाया गया है. वहां से निकलना मुश्किल है.
सेठ के घर में पैसा चोरी कर भागा
17 वर्षीय ऋषि कुमार ने बताया कि उससे आलू गोदाम में काम कराने के अलावा घर में पोछा लगवाया जाता था. एक दिन सभी ने प्लान बनाया कि वहां से भागना है, जिसके बाद उसने जिस घर में पोछा लगाता था, उस घर के किचेन में 1500 रुपया रखा हुआ था, जिस पर उसकी नजर बनी हुई थी, उसने पैसा चोरी की और किसी तरह वहां से भागा. ऋषि ने बताया कि सुबह चार बजे उठा देता था और रात को नौ बजे तक काम कराया जाता था. खाना खाने में ज्यादा देर होता था तो उसके लिए भी पिटाई करता था. बताया की सरदार और ठेकेदार दोनो के द्वारा मारपीट की जाती थी.
मेन गेट खुला देख भागा राजेंद्र
राजेंद्र मांझी ने बताया कि वह जहां काम करता था, वहां मालिक और उसके घर के लोग किसी पार्टी में गए थे और वह आलू पर दवा छिड़काव कर रहा था. इस दौरान धोखा से मेन गेट खुला छूट गया, जिसका वह फायदा उठाकर वहां से भागा. पास में पैसा भी नहीं था. जैसे तैसे वहां से आया है. हालांकि, उसका दो भाई वीरेंद्र और सुनील अभी भी उन्हीं के चंगुल में फंसे हुआ है. राजेंद्र ने बताया कि ठेकेदार के द्वारा बोला गया कि आलू बिछवाने के लिए ले जा रहे है. इसके एवज में 12हजार रुपए देंगे. लेकिन, वाहन जाने के बाद आलू बोरा में पैक करना, सिलना और उठाकर गोदाम तक रखवाया जाता था. गलती होने पर काफी पिटाई की जाती थी.
क्या कहते है एसडीओ
चंगुल में फंसे लोगों परिजनों ने बताया कि वह इस संबंध में स्थानीय जिला परिषद सदस्य डॉ. मनोज कुमार को जानकारी दीं. वही, डॉ मनोज ने बताया कि इस संबंध में पुपरी एसडीओ को जानकारी दी है और मंत्री जनक राम को इसकी जानकारी दी है. उन दोनों के द्वारा परिजनों से लिखित आवेदन मांग की गई है. वही, पुपरी एसडीओ मो. इश्तेयाक अली अंसारी ने बताया कि मौखिक जानकारी मिली है. आवेदन मिलने पर संबंधित प्रशासन से बातकर बच्चों को मुक्त कराने का प्रयास किया जाएगा. पीड़ित परिवारों की ओर से अबतक आवेदन नहीं मिला है. स्थानीय प्रशासन को मामले की जांच का निर्देश दिया गया है. बच्चों के अभिभावक स्थानीय जिला पार्षद रानी कुमारी को आवेदन देकर मुक्त कराने की गुहार लगायी है.
जिला पार्षद ने मंत्री को कराया अवगत
इसके बाद जिला पार्षद रानी कुमारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक व समाजसेवी डॉ. मनोज कुमार एवं लेखिका नैना साहू ने गांव में जाकर पीड़ित परिवारों से मिलकर मामले की जानकारी ली. ग्रामीणों ने बताया कि बंधकों में ज्यादातर महादलित परिवारों के नाबालिग बच्चे हैं. इन्हें बहला फुसला कर पंजाब ले जाया गया है. वहां इन्हें अमानवीय परिस्थितियों में बंधक बनाकर रखा जाता है और सोलह-सोलह घंटों तक मजदूरी करवाई जाती है. घर वालों से बात तक नहीं करने दी जाती है. जो बच्चे भागने का प्रयास करते हैं, उनके साथ बुरी तरह मारपीट की जाती है. जिला पार्षद नैना शाहू ने तात्कालिक रूप से बिहार के अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री जनक राम से बात कर उन्हें समस्या से अवगत कराया. कल्याण मंत्री मामले पर यथोचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 17:34 IST