उत्तराखंड के 47 तरह के ट्रेडिशनल फ़ूड को परोस रहा है देहरादून का यह कपल
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वैसे तो आप कई तरह के व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं लेकिन यहां का ऑथेंटिक ट्रेडिशनल फ्लेवर हर जगह नहीं मिलेगा. ऐसे में आज हम आपको ऐसे कपल के बारे में बताने वाले हैं जो अपने उत्तराखंड के परंपरागत पकवानों को देहरादून में भी परोस रहे हैं. देहरादून के मोहकमपुर के रहने वाले कपिल डोभाल और उनकी पत्नी राज्य के अलग-अलग पहाड़ी जिलों के पकवानों को बनाकर परोस रहे हैं.
ट्रेडिशनल फूड मिलता है
ये दोनों उत्तराखंड के धारचूला, मुनस्यारी, नीति माणा, हर्षिल, गुत्थू, घनसाली और जौनसार के ट्रेडिशनल फूड को देहरादून के लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहें हैं. पत्नी दीपिका के साथ मिलकर कपिल अपने रेस्टोरेंट में ढिंड़का, असकली, लेमड़ा सहित 47 तरह के ट्रेडिशनल कुजिन बनाते हैं. इसमें भी ढिंड़का 30 रुपये प्रति प्लेट है जिसे बहुत पसंद किया जाता है. इसे खाने बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
पत्नी को कुकिंग का शौक
कपिल डोभाल ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा है कि उनकी पत्नी दीपिका राजस्थान में पली-बढ़ी हैं और उन्हें कुकिंग का बहुत शौक था. वहे कई तरह के पकवान बनाती थी फिर उन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ी पकवानों को बनाना शुरू किया और परिवार को परोसने लगी. कोविड के बाद कपिल ने अपनी पत्नी के साथ रिसर्च करने के बाद उत्तराखंड के पहाड़ी गांव से व्यंजनों की रेसिपी लेकर बनाना शुरू कर दिया और मेलों में स्वाद परोसने लगे. आज वे बूढ़ दादी के नाम से एक रेस्टोरेंट चला रहें हैं.
कोरोना में ठप हुआ काम
कपिल बताते हैं कि वह कोचिंग सेंटर चलाते थे लेकिन कोरोना में उनका काम ठप हो गया. वह अपने इस काम से बहुत खुश हैं. उन्होंने बताया कि वह अपने रेस्टोरेंट में ढिंड़का, असकली, लेमड़ा समेत 47 तरह के उत्तराखंडी ट्रेडिशनल फूड बनाते हैं. कपिल ने बताया कि उन्होंने उत्तराखंड के धारचूला, मुनस्यारी, नीति माणा, हर्षिल, गुत्थू, घनसाली और जौनसार जैसे क्षेत्रों के स्थानीय पकवानों को स्नैक्स के रूप में परोसने का काम किया है.
वे आगे बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने मिलेट्स आदि को बढ़ावा देने के लिए जो बातें कही थीं, लोग उसे समझ रहे हैं. धीरे-धीरे लोगों को अपने पहाड़ी उत्पादों का महत्व समझ आ जाएगा. कपिल बताते हैं कि मंडुए और गहत द्वारा बनाए गए क्रिस्पी ढिंड़का और भांग की चटनी को वे लगभग 700 से ज्यादा लोगों को खिला चुके हैं और ये सबको काफी पसंद आया है.
पहाड़ी उत्पादों से रिवर्स पलायन की संभावनाएं
कपिल ने बताया कि वे पौड़ी जिले के एक छोटे से गांव से आते हैं. उनके गांव से लोग नौकरी के लिए शहरों की और पलायन कर चुके हैं. उनका गांव आखिरी सांसे गिन रहा है. हालांकि उनका मानना है कि हमें अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों की जमीन पिछले 52 सालों से बंजर पड़ी हुई थी उसमें वह दाले, मंडुए आदि उगाते हैं.
आप भी ले सकते हैं पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद
अगर आप भी पहाड़ के 47 तरह के लजीज व्यंजनों का स्वाद लेना चाहते हैं, तो आप देहरादून के मोहकमपुर खुर्द स्थित बूढ़ दादी रेस्टोरेंट आ सकते हैं जहां आपको ढिंड़का 30 रुपये प्रति प्लेट मिल जाएगा. इसके अलावा यहां और भी बहुत से आइटम हैं, जिन्हें आप अपनी च्वॉइस के मुताबिक खरीदकर खा सकते हैं.
Tags: Dehradun news, Food 18, Local18, Uttrakhand
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 14:11 IST