भावनगर: गुजरात राज्य में अब लोग पशुपालन की ओर बढ़ रहे हैं, जहां पशुपालन विभाग की कई योजनाएं लागू की गई हैं, जिनका फायदा पशुपालक भी उठा रहे हैं और अब पशुपालन की ओर रुख कर रहे हैं. किसान अब खेती के साथ-साथ पशुपालन से भी लाखों रुपये कमा रहे हैं. हालांकि, पशुओं में भी कई प्रकार की विकारजनक बीमारियां पाई जाती हैं, जिन्हें नियंत्रित करना बहुत जरूरी है. आमतौर पर कई बीमारियां घरेलू उपायों से ठीक हो सकती हैं, लेकिन अगर ऐसे मामलों में ही दिशा में परिणाम नहीं मिलते, तो एक पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए, तो चलिए इसके बारे में विस्तार से पशु चिकित्सालय अधिकारी डॉ. बलडानिया से जानते हैं…
लोकल 18 से बात करते हुए माहुवा के पशु चिकित्सालय अधिकारी डॉ. बलडानिया ने कहा कि अफारा यानी की पेट फूलने की बीमारी अधिकतर रुमिनेंट्स (चबाने वाले जानवरों) में होती है. बता दें कि पशुओं में पेट में गैस भरने की वजह से बाएं तरफ सूजन हो जाती है. इसके अलावा, जानवर अक्सर बाईं ओर मुंह करके दिखाई देते हैं. खासकर यह जानवर सांस लेने में कठिनाई महसूस करते हैं.”
अफारा से बचाव और उपचार के तरीके
अब आप सोच रहे होंगे इस बीमारी से जानवरों को कैसे बचाएं तो बता दें कि इस बीमारी से बचने के लिए खासकर पशुपालकों को पशुओं को खिलाने में सावधानी बरतनी चाहिए. यह बीमारी तब होती है जब जानवर ज्यादा खेसारी दाल और हरी अल्फल्फा खाते हैं. ऐसे समय में पशुओं को अल्फल्फा देना चाहिए. कभी-कभी जानवर पशु आहार के साथ प्लास्टिक की चीजें भी खा लेते हैं या किसी और कारण से भी ऐसा हो सकता है, तब भी यह समस्या हो सकती है.
घरेलू उपाय
अफारा को घरेलू उपायों से भी ठीक किया जा सकता है क्योंकि यह पशुओं को संक्रमित करता है, लेकिन अगर घरेलू उपचार के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता, तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. नहीं तो जानवर की मौत भी हो सकती है.
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अफारा का इलाज करने के लिए, 500 ग्राम रिफाइंड तेल में हींग का पाउडर मिलाकर देना या सांचल पाउडर और अजमा पाउडर मिलाकर देना भी फायदेमंद होता है. अगर इसके बाद भी कोई फर्क नहीं दिखता है, तो तुरंत एक पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 16:11 IST