पिथौरागढ़ : ब्रिटिश काल में जिस रेल लाइन के लिए सर्वे शुरू हुआ था, वो अब जाकर फाइनल हुआ है. टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन के लिए हुआ यह फाइनल सर्वे पूरा हो गया है. सर्वे के मुताबिक, 170 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बनने में 49000 करोड़ की लागत लगेगी. ऐसे में अगर ये रेल लाइन वजूद में आती है तो चाइना और नेपाल बॉर्डर के करीब भारतीय रेल की पहुंच हो जाएगी. आइये जानते हैं एक खास रिपोर्ट.
टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का सपना कुमाऊं के चारों पहाड़ी जिले दशकों से देख रहे हैं. अंग्रेजी हुकुमत ने 1882 में पहली बार इस रेल लाइन को बनाने का काम शुरू किया था. रेल लाइन के लिए पहला सर्वे 1912 में हुआ था. तब से अब तक सात सर्वे हो चुके हैं. दो सालों तक चले फाइनल सर्वे की रिपोर्ट स्काई लाई इंजीनियरिंग डिजाइनिंग ने रेलवे को सौंप दी गई है.
फाइनल सर्वे के मुताबिक, रेल लाइन में टनकपुर से बागेश्वर के बीच दर्जन भर स्टेशन बनाए जाने हैं. ये स्टेशन 170 किलोमीटर की रेल लाइन के बीच बनने हैं. यही नहीं, रेल लाइन के लिए 452 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण भी होना है, जिसमें 27 हेक्टेयर जमीन प्राइवेट है.
टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन को केन्द्र सरकार ने 2012 में राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट माना था. तब इस रेल लाइन में 54 किलोमीटर की 72 टनल प्रस्तावित थीं. ये रेल लाइन टनकपुर से पंचेश्वर तक काली नदी के किनारे बननी हैं. जबकि पंचेश्वर से आगे ये सरयू नदी के किनारे गुजरेगी.
इस रेल लाइन के बनने से अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर जिलों को सीधा फायदा मिलेगा. यही नहीं, पहाड़ की राह तो आसान होगी ही, साथ ही पर्यटन कारोबार को भी पंख लगेंगे.
चीन और नेपाल बॉर्डर के करीब होने के कारण इस रेल लाइन का सामरिक महत्व भी है. ऐसे में अब देखना बाकी है कि फाइनल सर्वे के बाद रेल मंत्रालय कब इस रेल लाइन को जमीन पर उतारता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 17:54 IST