पीलीभीत. पीलीभीत की एक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की कवायद शुरु कर दी गई है. इसको लेकर हाल ही में राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने सर्वे किया था. सर्वे के बाद पुरातत्वविदों ने माना है कि यह धरोहर काफी प्राचीन है. अगर यह धरोहर संरक्षित की जाती है तो यह जिले की 5 वीं धरोहर होगी जिसे संरक्षित धरोहरों की सूची में शामिल किया जाएगा. गौरतलब है कि प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही साथ पीलीभीत जिला सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी काफी अधिक महत्वपूर्ण है.
पीलीभीत में तमाम प्राचीन धरोहर मौजूद हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि सब बदहाल हैं. लेकिन बीते महीने सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों के चलते शाहगढ़ में मौजूद टीले का राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने ग्राउंड सर्वे किया था. सर्वे टीम ने माना है कि यह टीला काफी अधिक प्राचीन है. ऐसी मान्यता है कि पीलीभीत के शाहगढ़ इलाके में महाभारत काल के समकालीन शासक राजा वेणु का किला हुआ करता था.
टीले की ज़मीनों पर लोग कर रहे खेती
इस किले के शाहगढ़ में मौजूद होने की पुष्टि ब्रिटिशकालीन भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक एलेक्जेंडर कनिंघम ने सन 1862,1863,1864 में प्रकाशित अपनी सर्वे रिपोर्ट में भी किया था. यह महत्वपूर्ण विरासत भी अनदेखी का शिकार हो रहा थी. आलम यह है कि और पुरातात्विक महत्व रखने वाले इस टीले की ज़मीनों पर खेती की जा रही है. लेकिन जल्द ही इस टीले को संरक्षित धरोहरों की सूची में शामिल किया जाएगा.
जामा मस्जिद को 1965 में किया गया था संरक्षित
शाहगढ़ से पहले भी तमाम धरोहरों को भारतीय पुरातत्व और राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित किया है. संरक्षित धरोहरों में शामिल इमारतों में सबसे पहली इमारत जामा मस्जिद है. शहर में स्थित जामा मस्जिद को वर्ष 1965 में संरक्षित सूची में शामिल किया गया था. इसके अलावा शहर का गौरीशंकर मंदिर, इलाबांस देवल मंदिर, बरेली और कोतवाली दरवाजा शामिल है.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 19:58 IST