इंदौर: मध्य प्रदेश का इंदौर शहर देश का सबसे साफ शहर है. यह तमगा इस शहर की पहचान भी बन चुका है. शहर में स्वच्छा अभियान से जुड़े लोगों का विशेष सम्मान भी है. लेकिन, स्वच्छ इंदौर की एक ब्रांड एंबेसडर को पहचान तो दूर की बात, कई बार अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है. हाल ही में उनको खुद के लिए किराए का कमरा ढूंढने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
दरअसल, स्वच्छ इंदौर की ब्रांड एंबेसडर संध्या घावरी एक ट्रांस वुमन हैं. संध्या का जन्म तो पुरुष के रूप में हुआ था, लेकिन वह खुद को पुरुष नहीं स्वीकार कर पाईं. वह खुद को एक लड़की मानती थी. लड़कियों की अदाएं, तौर-तरीके अपना चुकी थीं. यही वजह थी कि बड़े होने पर संदीप से संध्या बन गईं. संदीप से संध्या बनने का सफर आसान नहीं था. समाज ने तो नाता तोड़ा ही, अपनों का भी साथ छूट गया. हालांकि, संध्या ने हार नहीं मानी. अपनी पहचान बनाई और इंदौर की पहली ट्रांस वुमन ब्रांड एंबेसडर बनीं.
मजबूरी में नौकरी की…
संध्या ने बताया, मेरा जन्म तो लड़के के रूप में हुआ, लेकिन मुझे लड़कियों की तरह रहना और सजना, घर संवरना पसंद था. इसलिए मेरे दोस्त भी नहीं थे, कितनी भी कोशिश कर दूं, उनके साथ एडजस्ट नहीं हो पाती. वे लोग मुझे अपशब्द कहते थे. कोई किन्नर तो कोई छक्का कहकर बुलाता. इसलिए मैंने अकेले ही रहना शुरू किया. परिवार ने भी साथ नहीं दिया, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण मैं उनका साथ नहीं छोड़ पाई. देवास में रहकर मैंने नौकरी की और लोगों से दूरी बढ़ा ली.
संस्था से जुड़ी, खुलकर जी सकी
संध्या ने आगे बताया, इसी बीच एक संस्था से जुड़ गई, जो हमारे जैसे लोगों को खुल के जीने का सहारा देती है. इसके बाद मैंने पूरी तरह से लड़कियों की तरह रहना शुरू किया. क्योंकि अपनी भावनाएं दबाते हुए मैं थक गई थी. ऐसा लगा कि अब मैं अपनी हर बात लोगों के सामने रख सकती हूं और लड़कियों की तरह सज संवरकर घर भी सजा सकती हूं. नौकरी भी जारी रही. इसके बाद मैंने लोगों की सोच बदलने के लिए अभियान चलाए और कई लोगों से जुड़ी, लेकिन समाज की सोच उतनी नहीं बदल पाई है, जितनी बदलनी चाहिए.
ब्रांड एंबेसडर बनी… पर मुश्किल कम नहीं हुई
आगे बताया, सरकार ने ट्रांसजेंडर को कागजों में तो जगह दे दी, लेकिन जमीनी स्तर हमारे सामने पहचान का संकट है. अगर सरकार कागजों के साथ-साथ जमीनी स्तर पर भी काम करे तो लोगों को हिजड़े-किन्नर और ट्रांसजेंडर में फर्क समझ आएगा. इसी बीच मुहिम के दौरान कुछ एनजीओ के आग्रह पर मैंने स्वच्छता की मुहिम भी छेड़ दी और देखते ही देखते इंदौर स्वच्छता मिशन की ब्रांड एंबेसडर बन गई. हालांकि, इस पहचान के साथ भी मुश्किलें कम नहीं हुईं.
मुंह पर दरवाजा बंद कर देते हैं लोग…
संध्या ने कहा, इंदौर में किराए पर रहती थी. जब लोगों को पता चला कि मैं एक ट्रांसजेंडर हूं तो वह लोग किराए पर मकान नहीं देते. मुंह पर दरवाजा बंद कर देते. भटक-भटक कर बहुत परेशान हुई. लोगों को समझा-समझा कर परेशान हुई. लेकिन, कुछ असर नहीं हुआ. आज भी मेरे जैसे कई लोग होंगे जो परेशानियों का सामना करते होंगे. बड़ी मुश्किल से इंदौर में बाईपास पर एक घर किराए पर मिला है, लेकिन यहां भी नजरें वैसी ही हैं.
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 18:02 IST