पान की खेती से रोज़ाना करते हैं 5 हजार की कमाई, जानें इनका फार्मूला

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पान की खेती की जानकारी देते रामविलास ठाकुर 

खगड़िया: अब अपने राज्य बिहार में पान की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. चूंकि पान की खेती खुले प्रक्षेत्र में नहीं की जा सकती है. इसलिए किसान नेटहाउस या घास फूस या किसी लकड़ी का प्रयोग कर बरेठा बनाते हैं. इसके बाद इन बरेठा में किसान भाई कई वर्षों तक पान का उत्पादन करते रहते हैं. इसके साथ ही किसान धीरे धीरे अपने खेती के रकवा को भी बढ़ाते जाते हैं. हालांकि, इस दौरान यह ध्यान जरूर रखते हैं कि उनकी क्षमता कितने कट्ठा में पान की खेती को संभालने की है.

बिहार में पान की खेती को लेकर यह भी दंत कथाएं हैं कि चौरसिया समाज की यह खेती है. सरकार की उदासीनता इस व्यवसायिक फसलों को लेकर इस कदर है कि इसे अबतक उद्यानिकी फसलों का दर्जा नहीं मिला और न ही अन्य किसानों को प्रेरित करते हुए पान की खेती करवा सके. खगड़िया जिले के रामविलास ठाकुर ने लोकल 18 से पान की खेती को लेकर अपनी कहानी साझा करते हुए सरकार से भी अपील की है. खबर से समझिए…

एक कट्ठा से शुरू हुई पान की खेती 10 कट्ठा में पहुंचा
खगड़िया जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर गोगरी अनुमंडल के जमालपुर क्षेत्र अंतर्गत गौछारी रेलवे स्टेशन के पास इसी गांव में रामविलास ठाकुर पिछले 60 वर्षों से पान की खेती कर रहे हैं. पान की खेती इनका पुश्तैनी व्यवसाय है जो पिता से इन्हें विरासत में मिली. पिता से मिली एक कट्ठा में पान की खेती को आगे बढ़ाते हुए अभी 10 कट्ठा पर पहुंचा दिया. इससे ज्यादा खेती 68 की उम्र में संभाल पाना मुश्किल है. इन्होंने बताया पान की देसी पान, कलकत्ता, पाटन, मघई और बांग्ला किस्मों की खेती करते हैं .

खल्ली देने से पान के पत्ता में आता है हरा कलर
पान की बेल को उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. इसकी खेती हाई ग्राउंड के साथ-साथ आर्द्रभूमि में भी की जा सकती है. जो खगड़िया जिले के मिट्टी और वातावरण में उपबल्ध नजर आता है. यानी जिले के अन्य किसान भी चाहे तो पान की खेती कर सकते हैं . हालांकि यहां के किसानों की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ होने की वजह से थोड़ा मुश्किल हो सकता है. किसान रामविलास में आगे बताया डीएपी खाद के अलावा खल्ली का प्रयोग करते हैं. खल्ली पान के जड़ों में देने से फायदा यह मिलता है कि पान के पत्तों में हरा रंग झलकता है. इससे कीमत भी ज्यादा मिलते हैं. वहीं डीएपी के प्रयोग से पान के पत्तों का उत्पादन बढ़ता है.

10 कट्ठा से 1.50 लाख महीने की कमाई
किसान रामविलास ने बताया पान की खेती 10 कट्ठा में करने में तकरीबन 1 लाख का खर्चा आता है. उसके बाद हर महीने हजार रुपए तक खर्च कर बेहतर उत्पादन लिया जाता है. इन्होंने बताया 10 कट्ठा में एक दिन में पान तोड़ना संभव नहीं है. रोजाना हम 5000 के आसपास का पत्ता तोड़कर कारोबारी को देते हैं. इन्होंने बताया हमारे 5000 के पत्ते को कारोबारी हमसे लेकर दुकानों में 10000 का बेचते हैं. हमारे पत्ता का बाजार मूल्य ₹2 है. बिक्री के सवाल पर इन्होंने बताया खगड़िया तो मेरा गृह जिला तो यहां बिकता ही है. इसके अलावा बेगूसराय, समस्तीपुर, भागलपुर, सुलतानगंज, पूर्णिया आदि जिलों में बिक्री के लिए जाते रहते हैं. हालांकि रामविलास में लोकल 18 के जरिए सरकार से पान की खेती को उद्यानिक फसलों का दर्जा देने की मांग करते हुए सरकारी मदद के भी अपील की है.

Tags: Agriculture, Bihar News, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 25, 2024, 23:25 IST

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