पितृ दोष से बिगड़ जाते हैं सारे काम, जानें कुंडली में कैसे पता चलेगा

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कुंडली के कैसे बनता है पितृ दोष 

शुभम मरमट/ उज्जैन: हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का बड़ा महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होता है. आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर खत्म हो जाता है. इन 15 दिनों के दौरान लोग पितरों को याद कर उनके निमित्त तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. पितृ दोष यानी पित्रों का दोष होता है.

पितरों का दोष कैसे लगता है?.यह बात बहुत से लोग जानना चाहते है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब हमारे घरों में किसी की अकाल मृत्यु होती है. वह प्रेत बन के भटकता है.वहीं, प्रेत अपनी मुक्ति के लिए जब लोगों परेशान करता है. उसे ही पितृ दोष कहते हैं. जब कुंडली में राहु केंद्र में या त्रिकोण में मौजूद होता है. इससे पितृ दोष बनता है. इसके अलावा जब सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होता है. आइए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से पूरी बात विस्तार से जानते है.

जानिए कैसे बनता है कुंडली में पितृ दोष
हिन्दू धर्म मे ज्योतिष शास्त्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य मंगल और शनि विराजमान होते हैं. पितृदोष बनाते हैं. इसके अलावा कुंडली के अष्टम भाव में गुरु और राहु एक साथ आकर बैठते हैं.पितृदोष का निर्माण होता है. जब कुंडली में राहु केंद्र में या त्रिकोण में मौजूद होता है. पितृ दोष बनता है. जब कोई व्यक्ति अपने से बड़ों का अनादर करता है, या फिर उसकी हत्या कर देता है, तो ऐसे व्यक्ति को पितृ दोष लगता है.

क्या होता है पितृदोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती , तो ये आत्माएं पृथ्वी लोक में रहने वाले अपने वंश के लोगों को कष्ट देती हैं. इसी को ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष कहा गया है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मृत्यु लोक पर हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को देखती रहती हैं. जो लोग अपने पूर्वजों का अनादर करते हैं. उन्हें कष्ट देते हैं. इससे दुखी दिवंगत आत्माएं उन्हें शाप देती हैं इसी शाप को पितृ दोष माना जाता है.

पितृ दोष होने पर मिलते हैं ये संकेत

– यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष हो तो उसे अपनी जीवन में कई कष्ट झेलने पड़ते हैं. पितृ दोष के कारण शादी में भी बाधा आती है. ऐसे में विवाह में देरी होती है.

– पितृ दोष के कारण वंश वृद्धि रुक जाती है. ऐसे में संतान प्राप्ति में बाधा आती है. साथ ही संतान राह भटक जाता है.

कैसे करे पितृ दोष दूर

– पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में पीपल के पेड़ में काला तिल डला हुआ दूध चढ़ाएं. साथ ही अक्षत और फूल अर्पित करके पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें.

– पितृपक्ष में रोजाना शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए. इससे भी पितृदोष दूर होता है और आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर होने लग जाती हैं.

Tags: Astrology, Latest hindi news, Local18, Madhya pradesh news, Ujjain news

FIRST PUBLISHED :

September 23, 2024, 14:48 IST

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