श्रीनगर गढ़वाल. उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के विकास खंड थलीसैंण के गंगाऊ गांव में मवेशी एक रहस्यमयी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. मवेशियों के नाक से खून बहने और पेट फूलने की शिकायत मिल रही है. इससे बीमारी के चलते पूरे क्षेत्र भय का माहौल है. बीमारी से अभी तक गांव में 2 पशुओं की मौत हो चुकी है. जबकि 18 पशु बीमार हैं, पशुपालन विभाग ने जानवरों के सीरम और गोबर के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए हैं.
गौरतलब है कि विकास खंड थलीसैंण के गंगाऊ गांव में बीते कुछ दिनों से पालतू जानवर अचानक बीमार पड़ रहे हैं. जानवरों के नाक से खून बहने के साथ ही उनके पेट फूल रहे हैं. ग्राम प्रधान गंगाऊ रेखा देवी ने बताया कि ग्रामीणों के मवेशी कुछ दिनों से बीमार हो रहे हैं. जिसको लेकर प्रत्येक परिवार परेशान है. उन्होंने बताया कि मवेशियों के बीमारी की चपेट में आने को लेकर पशुपालन विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी गई. विभाग की टीम ने गांव में आकर प्रत्येक परिवार के मवेशियों का परीक्षण किया है.
यूरिया से पशु हुए बीमार?
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विशाल शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि गांव से 6 सैंपल इकठ्ठा किए गए हैं. प्रथम दृष्टया यह ग्रास पॉइज़निंग का केस दिखाई दे रहा है, गौरतलब है कि खेतों में यूरिया का इस्तेमाल ज्यादा होता है. फसलों के बचे अवशेष को पशुओं ने खाया है, उनमें यह लक्षण दिखाई दे रहे हैं. पशुओं ने अधिक मात्रा में इस घास का सेवन किया हो इसकी वजह से पशु बीमार हो सकते हैं. साथ ही उनका कहना है कि लोकल मिरचई घास के अधिक सेवन से भी पशु बीमार हो सकते हैं. यह घास खुद से उगती है और इसके सेवन से भी पशु बीमार हो सकते हैं. हालांकि अभी तक कारण स्पष्ट नही हो पाया हैं. पशुओं के गोबर और मूत्र के सैंपल जांच के लिये भेज दिये गए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 13:04 IST