किताब में उन्होंने 14 लोकगीतों का संकलन किया है.
देहरादून. उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानियों और राज्य आंदोलनकारियों का जिक्र तो आपने सुना होगा लेकिन आज हम आपको गढ़वाल के वीरों के बारे में बताने जा रहे हैं. ब्रिटिशकाल में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गढ़वाल के कई हीरो हुए, जिन्होंने अंग्रेजी सेना में रहकर बहादुरी की मिसाल पेश की. उत्तराखंड के लेखक और शिक्षाविद देवेश जोशी ने इस विषय पर 6 साल की रिसर्च करने के बाद ‘गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध’ किताब लिखी है. उन्होंने 1914 से लेकर 1921 तक गढ़वाली सैनिकों द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध में शौर्यपूर्ण प्रतिभागिता का प्रामाणिक वर्णन किया है. इस किताब में प्रमुख योद्धाओं पर अलग से अध्याय हैं और प्रथम विश्वयुद्ध के समय गढ़वाल के परिदृश्य का भी रोचक वर्णन है.
‘गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध’ किताब के लेखक देवेश जोशी ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि उन्होंने गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का ‘सात समुंदर पार चे जाणा’ गीत सुनकर उसे ही आधार बनाया और साल 2018 से इस शोध की शुरुआत की. प्रथम विश्व युद्ध के हीरो कैप्टन धूम सिंह चौहान पर उन्होंने साल 2022 से पहले एक किताब लिखी थी, जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया था. इसके बाद उन्हें प्रोत्साहन मिला. इस किताब को लिखने के लिए वह लैंसडाउन म्यूजियम में गए और भूतपूर्व सैनिकों के परिजनों से भी मुलाकात की. उनके लोकगीतों को समझा.
साधारण सैनिकों के योगदान का भी जिक्र
उन्होंने कहा कि इस किताब के जरिए उनकी कोशिश रही कि 1914 से 1921 तक प्रथम विश्व युद्ध में गढ़वाल के सैनिकों का जो योगदान रहा है, उन्हें दस्तावेजों के तौर पर संरक्षित किया जा सके. इसमें बड़े पदों पर ही नहीं बल्कि साधारण सैनिकों के योगदान का भी जिक्र किया गया है. इस किताब में उन्होंने 14 लोकगीतों का संकलन किया है, जिनके प्रथम विश्व युद्ध के संकेत मिलते हैं.
सैनिकों की चिट्ठियों का भी जिक्र
देवेश जोशी ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत में जब गढ़वाल के युवकों को भर्ती करके युद्ध में भेजा जाता था, तो वे वहां से अपने दोस्तों और परिजनों को चिट्ठी लिखकर हालचाल पूछा करते थे और अपना हाल बताया करते थे. प्रथम विश्व युद्ध के मोर्चे से भेजे हुए 9 पत्र मूल रूप से किताब में शामिल किए गए हैं, जो गढ़वाल के सैनिकों ने अपने परिजनों को लिखे थे. किताब से हम अपने इलाकों के गुमनाम सैनिकों के बारे में जान सकेंगे और यह जानकारी सुरक्षित रख सकेंगे.
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 16:52 IST