मिनरल वाटर से कम नहीं है चंबल नदी का पानी
इटावा: बहती नदियों के पानी को पीने के लिए स्वच्छ माना जाता रहा है लेकिन विकास की अंधी दौड़ में घरों, गली, मोहल्लों औऱ फैक्ट्रियों के नालों को सीधे नदियों में गिराया जाने लगा. इससे नदियों का पानी प्रदूषित हो गया और पीने लायक तो छोड़िए कई जगह तो कपड़ा धुलने लायक भी नहीं बचा. ऐसे में अगर पता चले कि किसी नदी का पानी मिनरल वाटर का मुकाबला करता नजर आ रहा है तो यह अपने आप में सुखद खबर है. चंबल नदी के पानी के बारे में कहा जा रहा है कि यह मिनरल वाटर का मुकाबला करता नजर आ रहा है.
दुर्गम बीहड़ इलाके से बहने वाली चंबल नदी के साफ पानी की कई मिसालें दी जा रही हैं. यह नदी हजारों लोगों के लिए पीने के पानी औऱ सिंचाई के पानी का सहारा है. चंबल के पानी को लोग पीने से लेकर सिंचाई तक विभिन्न कार्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं.
कहा जाता है कि चंबल नदी के पानी में कई गंभीर बीमारियों को दूर करने की क्षमता है. इस कारण दूर दराज के लोग चंबल नदी के पानी को बड़े बर्तनों में भरकर ले जाते हैं. कई लोग नियमित तौर पर इस नदी का पानी खासतौर से मंगाते हैं.
इसी चंबल नदी का पानी पीकर कुख्यात डाकू पुलिस से मुकाबला करते रहे और उन्हें चकमा देकर खुद को बचाते रहे. इसी चंबल नदी का पानी पीकर कई पुलिस वालों ने यहां के डाकुओं का खात्मा भी किया.
वैसे पानी तो साफ सभी नदियों का होना चाहिए क्योंकि वही पानी लोगों को पीने आदि के लिए भी सप्लाई किया जाता है. गंदे पानी से कई तरह की बीमारियां होती हैं. साफ पानी के लिए इतने महंगे फिल्टर लगाते हैं. शहरों की गंदगी से ही नदियां भी सबसे ज्यादा गंदी होती हैं और शहरवासी ही फिल्टर भी खरीद रहे हैं. लेकिन इसका नुकसान गांव के लोग उठा रहे हैं. शहर की गंदी नदीं जब गांव पहुंचती है तो गांव के लोगों को भी गंदा पानी ही मिलता है और उनके पास फिल्टर खरीदने का भी इंतजाम नहीं होता.
ऐसे में चंबल नदी के किनारे बसे गांव वालों के लिए तो खुशी की बात है कि उनकी नदी का पानी मिनरल वाटर के बराबर है. बसवारा गांव के बुजुर्ग अर्जुन सिंह बताते है कि चंबल नदी के पानी की तारीफ जितनी भी की जाये उतनी कम ही होगी. करीब 70 साल की उम्र पार कर चुके अर्जुन सिंह को याद भी नहीं है कि वो किस उम्र से चंबल नदी का पानी पीते हैं. उनको चंबल नदी का पानी पीते हुए अरसा हो गया है. कोई भी किसी तरह की कोई कठिनाई नहीं है. खुद चंबल नदी का पानी एक प्लास्टिक की कट्टी में भर कर ले जाते हैं जो पूरे दिन उनके काम आता है.
बसवारा गांव के प्रधान सोनवीर यादव का कहना है कि चम्बल नदी तो उनके घर जैसी है. एक पैर घर में तो दूसरा नदी में ही रहता है. गांव में किसी के घर भी कोई भी काम हो तो इसी पानी का इस्तेमाल किया जाता है. गांव के करीब 80 फीसदी लोग चंबल नदी का ही पानी दैनिक उपयोग में इस्तेमाल करते हैं.
गांव की महिला श्रीमती अर्चना देवी का कहना है कि गांव वाले चंबल नदी के पानी पर ही आश्रित बने हुए हैं क्योंकि गांव का पानी खारा है. इसलिए चंबल नदी का पानी ही लंबे वक्त से इस्तेमाल कर रहे हैं. बसवारा गांव की महिला श्रीमती अर्चना देवी का कहना है कि उनकी शादी हुए 31 साल हो गए हैं. जब से इस गांव में ब्याह कर आई हैं तब से चंबल नदी का ही पानी जीवन यापन के लिए इस्तेमाल कर रही हैं.
पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डा.राजीव चौहान का कहना है कि चंबल नदी का पानी बेहद अहम है. नदी के किनारे बसे लोगों की दिनचर्या चंबल नदी के ही उपर आश्रित है. नदी के साफ पानी के बारे में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि बिना तकनीकी परीक्षण के ही चंबल नदी के पानी को मिनरल वाटर के माफिक माना जाता है.
इटावा के जिला वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला बताते हैं कि चंबल नदी का पानी बिल्कुल साफ है. इसीलिए दुर्लभ प्रजाति के जलचरों को चंबल नदी में संरक्षण मिला हुआ है. चंबल नदी के किनारे बसे हुए गांव वाले नदी के पानी पर आश्रित बने हुए हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चंबल नदी के पानी का इस्तेमाल अपने दैनिक उपयोग के लिए कर रहे हैं.
2007 में चंबल नदी में घड़ियालों पर आई त्रासदी में करीब सवा सौ के आसपास घड़ियालों की रहस्यमय ढंग से मौत हो गई थी. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर के दर्जनों विशेषज्ञों ने कई महीनों तक गहन परीक्षण किया. इसी दौरान चंबल नदी के पानी को कई दफा टेस्ट किया गया लेकिन चम्बल नदी के पानी में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई.
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FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 18:56 IST