वाराणसी : प्रयागराज महाकुंभ-2025 से पहले वाराणसी में गंगा की शुद्धता को लेकर सवाल उठने लगे हैं. दरसअल,वाराणसी में अस्सी और वरुणा नदी की दुर्दशा से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने गंगा के पानी की शुद्धता को लेकर सवाल उठाए थे. एनजीटी ने वाराणसी के डीएम से पूछा था कि क्या आप गंगा का पानी पी सकते हैं?क्यों नहीं गंगा के किनारे बोर्ड लगाया जाए की गंगा का पानी नहाने और पीने योग्य नहीं है .एनजीटी की इस टिप्पणी के बाद गंगा की स्वच्छता को लेकर एक बार फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई.
इन सवालों के बीच वाराणसी में गंगा जल कैसा है? इसका सच जानने के लिए लोकल 18 की टीम ने वैज्ञानिक से बातचीत की. डॉ बी डी त्रिपाठी ने बताया कि हमने लंबे समय तक गंगा पर काम किया. हम लोगों ने अपने रिसर्च में पाया है कि गंगा का पानी उसी जगह प्रदूषित है जहां नाले आज भी टैप नहीं हो पाए हैं.
लोगों को भ्रांतियों से निकलना होगा बाहर
जिस जगह नाले का पानी सीधे तौर पर गंगा में गिरता है उसके 100 मीटर के आस पास के गंगा का क्षेत्र आज भी प्रदूषित है. लेकिन पूरी गंगा प्रदूषित है लोगों को इस भ्रांति से बाहर निकलना पड़ेगा. आज भी कई ऐसी जगह है जहां गंगा के पानी में नाले तो गिरते हैं लेकिन उस जगह बीच गंगा का जल साफ रहता है. इसके अलावा गंगा उस पार का जल भी शुद्ध है.
पहले से साफ हुई है गंगा
डॉ बी डी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा की स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ है. क्योंकि गंगा जल को स्वच्छ करने के लिए वाराणसी ही नहीं बल्कि अन्य जगहों पर भी कई सारे काम हुए हैं. जिससे गंगा जल की शुद्धता पहले से ज्यादा अच्छी हुई है.
निरंतर काम की है जरूरत
उन्होंने ये भी बताया कि लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि गंगा की स्वच्छता पर काम करने की जरूरत नहीं है. भविष्य के लिए यह एक गंभीर संकट है जिसपर सरकार को हमेशा काम करने की जरूरत है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 15:52 IST