हाइलाइट्स
स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रसाद में चर्बी मिलाए जाने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दियास्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मंदिर के महंत और पुजारियों की मिलीभगत से हुआ
प्रयागराज. आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलावटी प्रसाद को लेकर यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री और शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने प्रसाद में चर्बी मिलाए जाने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. उन्होंने कहा है कि मंदिर और परिसर में प्रसाद और प्रसाद सामग्री बगैर वहां के धर्माचार्यों, संत, महंतों और पंडे पुजारियों की अनुमति के अंदर जा नहीं जा सकती है. उन्होंने मंदिर के महंतों और पुजारियों पर प्रसाद में मिलावट करने में मिली भगत का गंभीर आरोप लगाया है.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अयोध्या राम मंदिर में भी चर्बी युक्त प्रसाद बांटने की खबर सामने आई है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि यह अधर्म कोई और नहीं बल्कि हिंदू धर्म के ही ठेकेदार, धर्माचार्य और पंडे पुजारी और संत महंत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के ठेकेदार ही प्रसाद में चर्बी मिला रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर से अयोध्या में खुदाई के दौरान बौद्ध की मूर्तिया मिलने की बात दोहराई है.
माफिया और मठाधीश बयान का समर्थन
स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के माफिया और मठाधीश के बयान का भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि अगर किसी मठाधीश की प्रवृत्ति माफिया की है, तो उसे माफिया कहने से पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. वहीं यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती के सभी सीटों पर उपचुनाव लड़ने के ऐलान और सपा से बढ़ रही नजदीकी के सवाल पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मायावती जी चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर मायावती उपचुनाव लड़ने जा रही हैं तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा है कि मायावती के लिए यूपी में उपचुनाव लड़ना छोटी बात है.
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ कभी सफल नहीं होगा
वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने वन नेशन वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट से पास किए जाने को ढ़ोंग और नौटंकी कर दिया. उन्होंने कहा कि देश लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलता है. 1952 देश में पहला चुनाव हुआ था. उसे समय सांसदों और विधायकों का निर्वाचन एक साथ हुआ. उन्होंने कहा कि लेकिन समय-समय पर विधानसभाएं समय से पूर्व भंग होती रही हैं. कभी-कभी लोकसभा भी निर्धारित समय से पूर्व भंग हुई है. उन्होंने कहा कि संविधान में ऐसी व्यवस्था है कि बहुमत के आधार पर मुख्यमंत्री विधानसभा और प्रधानमंत्री लोकसभा को भंग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था थी लेकिन व्यावहारिक रूप से यह व्यवस्था नहीं चल पाई. उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था और अव्यावहारिक है. इसलिए आगे भी यह व्यवस्था नहीं चल पाएगी. उन्होंने कहा कि यह प्रयोग पूरी तरह से असफल होगा और अगर मोदी जी को देश की चिंता है उन्हें वन नेशन वन इलेक्शन के पहले वन नेशन वन एजुकेशन की बात करनी चाहिए, ताकि सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा मिल सके.
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FIRST PUBLISHED :
September 23, 2024, 10:43 IST