प्राइमरी स्टेज पर विद्यार्थी जो स्किल बेस्ड ट्रेनिंग लेगा, वह उसे ताजिंदगी काम आएगा: धर्मेंद्र प्रधान

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नई दिल्ली:

वर्ल्ड बैंक ने स्किल बेस्ड एजुकेशन सिस्टम पर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जॉब्स एट योर डोर स्टेप जारी की है. भारत के लिए इसके क्या मायने हैं. भारत सरकार के लिए यह कितनी महत्वपूर्ण है और देश में स्कूल सिस्टम में किस तरह से स्किल बेस्ड ट्रेनिंग बच्चों के लिए आगे बढ़ाई जा सकती है? केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीटीवी ने बातचीत की.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीटीवी से कहा कि, माननीय प्रधानमंत्री जी दूर का सोचते हैं. उन्होंने देश के अंदर एक मोमेंटम लाने के लिए पिछले 10 साल से एक कंटीन्यूअस रिफॉर्मिस्ट गवर्नेंस मॉडल डेवलप किया. उसी में आने 2047 तक  जब हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे तब तक हमारी रिक्वायरमेंट क्या होगी, हमारी ग्लोबल प्रोफाइल क्या होगी, ये सारी बात को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में एक पारडिम शिफ्ट किया गया है. वोकेशनल एजुकेशन स्किल बेस एजुकेशन अब तक एक ऐसे विद्यार्थी के लिए था जो ड्रॉपआउट हो जाते हैं, जो विद्यार्थी दसवीं के बाद आईटीआई या पॉलीटेक्निक तक पहुंचते हैं, उनके लिए ऐसी ही एक धारणा बनाई गई थी. दूसरा अगर स्कूल एजुकेशन में हैं तो ये इलेक्टिव सब्जेक्ट है, ऑप्शनल सब्जेक्ट है. लेना है तो ले सकते हो, नहीं लेने से भी चलेगा. लेकिन एनईपी 2020 में एक मूलभूत परिवर्तन किया गया. फ्रॉम क्लास सिक्स एक स्किल स्पिरिट के बारे में विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. उसकी एप्टीट्यूड रुचि इससे ध्यान में आएगी. क्लास 9, 10  में छह एरिया में बहुत सारे स्किल सेट्स को वह अपनी रुचि के हिसाब से थोड़ा सब्जेक्टाइज कर सकता है और 11, 12  में वह थोड़ा और स्पेसिफिक फोकस स्पेशलाइजेशन की ओर बढ़ेगा. फिर उसके हिसाब से अगर उसको हायर स्टडीज में जाना है, उसको रिसर्च की ओर जाना है, तो वो जा सकता है. लेकिन यह जो स्किल के बारे में उसका जो एजुकेशन होगा, प्राइमरी स्टेज पर यह उसको लाइफ लॉन्ग काम देने वाला है. 

प्रधान ने कहा कि, वर्ल्ड बैंक के साथ हमारा कुछ प्रोजेक्ट का काम चल रहा है. वर्ल्ड बैंक ने उन्हीं इलाकों में इसका इम्पैक्ट क्या आया है, छह राज्यों में कुछ चुनिंदा जिलों को उन्होंने एक सैंपल लेकर एक पैन इंडियन रिक्वायरमेंट के बारे में इंडिकेशन दिया है, जो हमारी आवश्यकता भी है, एनईपी की रिकमेंडेशन भी है. और हमारा जो रोडमैप आने वाले 25 साल में बनने वाला है, अमृत काल में, उसी में प्रधानमंत्री जी एक एंबिशन रखते हैं कि भारत को दुनिया की स्किल हब बनाना है. भारत दुनिया का ग्रोथ इंजन बनेगा. इंडिया लेड इकोनॉमिक मॉडल बनने वाला है. उस समय में इस प्रकार की रिपोर्ट निश्चित रूप में एक नए थॉट प्रोसेस को, पुराने आइडियाज को रि-एप्रोप्रिएट करके नया एप्रोच से ले जाने में निश्चित रूप में मदद करेगी. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडस्ट्रीज एमएसएमई के पास पोटेंशियल है. जॉब क्रिएट करने के लिए जो स्कूल ग्रेजुएट्स हैं उनके लिए और अगर आप स्कूल से ही उनको ट्रेंड करना शुरू करें तो एक नया इको सिस्टम भी बन सकता है. तो ऐसे में ये सवाल होगा कि इसका विस्तार आगे आप कैसे करेंगे. अभी तो उन्होंने छह जिलों की स्टडी की है, ये एक प्रक्रिया चल रही है. इसका विस्तार देश भर में कैसे होगा? 

सवाल पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि, हमने 2014 से इसका काम शुरू किया था. हमने अप्रेंटिसशिप एक्ट को रिफॉर्म किया है. हमने नई स्किल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री बनाई है. हमने ई श्रम पोर्टल जैसा रोबोट डाटा बैंक बनाया है. हमने अपार आईडी जैसी एक रोबोट एजुकेशन आईडी बनाई है. हमने एनईपी की रिकमेंडेशन में क्रेडिट फ्रेमवर्क क्रेडिट आर्किटेक्चर फ्रॉम क्लास वन टू लाइफ लॉन्ग... इसका एक आर्किटेक्चर किया है. प्रधानमंत्री जी ने खुद ही एक विषय को लीड किया है. डिग्री और सर्टिफिकेट महत्वपूर्ण हैं लेकिन योग्यता इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है. भारत ने अपने एजुकेशन को, अपने लर्निंग प्रोसेस को टेक्स्ट बुक से लेकर सब्जेक्ट से लेकर कॉम्पिटेंसी की ओर शिफ्ट किया है. एक बड़ा शिफ्ट है, एक मौलिक परिवर्तन है. दुनिया की जो नई इमर्जिंग रिक्वायरमेंट हो रही है उसके साथ यह रिफॉर्म हो रहा है. पहले हम लोगों को सेमीकंडक्टर की नॉलेज स्कूल में हम देते नहीं थे. ग्रीन एनर्जी के बारे में उस प्रकार का ओरिएंटेशन हमारे स्कूल में होता नहीं था. हमारी मल्टीमॉडल ग्लोबल मोबिलिटी नेटवर्क के बारे में हमारी कोई कल्पना थी नहीं. यह सारे विषय आज के एजिुकेशन सिस्टम में स्किलिंग इकोसिस्टम में नई दुनिया को जोड़ने वाले हैं. यह भी एक आवश्यकता है. 

उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में हमने एक करोड़ इंटर्नशिप की रिस्पांसिबिलिटी ली है. कॉर्पोरेट को इन्वॉल्व करते हुए गवर्नमेंट लीड करेगी, इंटर्नशिप के लिए. यह सब स्किलिंग रिस्किलिंग अप स्किलिंग का हिस्सा है. ग्लोबल स्टैंडर्ड का मैन पावर बनाने का हिस्सा है. हमारे देश में मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स बहुत सारे देशों में ट्रेड एग्रीमेंट कर रहा है. आज सभी देशों में भारत की स्किल्ड वार फोर्स का रिक्वायरमेंट है. दुनिया में हमारी मोबिलिटी बढ़ रही है हमारी रेमिटेंस इकोनॉमी बढ़ रही है.हमारी बेस्ट प्रैक्टिस सब ग्लोबल स्टैंडर्ड हमारे देश में लौट के आ रही है. ये इस प्रकार के आर्किटेक्चर पिछले दस साल में हमने बड़े स्पष्टता के साथ बनवाई है.

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