प्रेग्नेंसी में अगर हो जाए इस विटामिन की कमी तो मां ही नहीं बच्चे में भी विकार

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Vitamin D deficiency successful pregnancy: विटामिन डी हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विटामिन है जो हड्डियों और मसल्स से लेकर शरीर के कई कामों में मदद करता है. विटामिन डी इतना महत्वपूर्ण है कि यदि यह न हो तो कैल्शियम का शरीर में एब्जॉब्सन नहीं होगा. इसलिए विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर, पतले और क्षणभंगुर हो जाएगी. विटामिन डी का महत्व बच्चों के लिए कहीं ज्यादा है क्योंकि बच्चों में हड्डियों का निरंतर ग्रोथ होते रहता है. विटामिन डी मसल्स को सपोर्ट करता है. इसलिए यदि विटामिन डी की कमी हो जाए तो मांसपेशियां कमजोर होने लगती है. जरा, सोचिए कि महिला जब प्रेग्नेंट होती है और उस समय अगर विटामिन डी की कमी हो जाए तो क्या असर होगा. इस समय मां के साथ-साथ बच्चों पर इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

हार्ट फेल्योर तक का खतरा
अमेरिकी जर्नल एनसीबीआई के मुताबिक जब प्रेग्नेंट महिलाओं में विटामिन डी की कमी हो जाती है तो इसे प्रीक्लेंप्सिया बीमारी कहते हैं. यह प्रेग्नेंसी के 20 सप्ताह बाद अपना असर दिखाने लगती है. सबसे पहले इस बीमारी में महिलाओं में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. उधर विटामिन डी अगर नहीं होगा तो शरीर में कैल्शियम भी नहीं मिल पाएगा. ऐसे में पेट में पल रहे बच्चों में हड्डियों का ग्रोथ सही से नहीं हो पाएगा और इस कारण हड्डियों से संबंधित कई तरह की अपंगता बच्चे में हो सकती है. दूसरी कैल्शियम नहीं होने से पेट में पल रहे बच्चे में भी हाई बीपी हो सकता है और इससे हार्ट का संकुचन होने में दिक्कत हो सकती है जिसका नतीजा हार्ट फेल्योर भी हो सकता है. इसलिए अगर ऐसे बच्चे का जन्म भी हो जाता है तो जन्म के बाद यह बच्चा बेहद कमजोर होगा और इसकी हड्डियां टेढी-मेढी होगी. कुछ मामलों में विटामिन डी की कमी से मिसकैरिज यानी गर्भपात भी हो सकता है. ऐसे में प्रेग्नेंसी में हर हाल में महिलाओं को विटामिन डी की खुराक लेनी चाहिए.

विटामिन डी की पूर्ति के लिए क्या करें
विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत सूरज की रोशनी है. यदि आप सूरज की रोशनी में रहेंगे तो यह स्किन के माध्यम से अपने आप शरीर में आ जाएगा लेकिन कुछ फूड में भी विटामिन डी मिल सकता है. जिन मछलियों में तेल ज्यादा होता है, उन मछलियों में विटामिन डी भी होता है. सेलमन, मर्केल, सार्डिन, टूना आदि मछलियों से विटामिन डी प्राप्त किया किया जा सकता है. वहीं मशरूम, अंडे की जर्दी में भी विटामिन डी मिल सकता है. फोर्टिफाइड फूड से भी विटामिन डी को प्राप्त किया जा सकता है. इसके अलावा मसूर की दाल, गाजर, बादाम, केला, ब्राउन राइस, इडामेम, सूरजमुखी के बीज, ब्रोकली आदि से भी विटामिन डी को प्राप्त किया जा सकता है.

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Tags: Health, Health tips, Lifestyle

FIRST PUBLISHED :

October 6, 2024, 15:34 IST

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