धीर राजपूत/ फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद में होने वाली रामलीला की परंपरा सैंकड़ों साल पुरानी है. इस रामलीला के पात्रों के लिए एक अनूठी परंपरा का पालन किया जाता है.वहीं इस रामलीला में पात्र बनने के लिए एक साक्षात्कार किया जाता है, जिसके बाद अलग-अलग पात्रों का चयन होता है. चयन होने के बाद पात्रों को कठिन नियमों से होकर गुजरना पड़ता है. इस परंपरा को कई सालों लोग निभा रहे हैं.वहीं फिरोजाबाद की रामलीला का संचालन किसी मंच पर नहीं किया जाता. इसे देखने के लिए काफी दूर दूर लोग आते हैं. वहीं रामलीला मैदान पर एक मेले का भी आयोजन किया जाता है.
131 साल पहले हुआ था इस रामलीला का मंचन,पात्रों के मुंडन कराने की है परंपरा
फिरोजाबाद के इतिहासकार प्रो.ए.बी चौबे ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा कि कोटला चुंगी के पास स्थित रामलीला मैदान में होने वाली रामलीला की शुरुआत आज से लगभग 131 साल पहले बद्री प्रसाद अग्रवाल ने की गई थी. सैकड़ों साल पुरानी रामलीला अब लोगों के लिए एक अलग ही पहचान बन चुकी है. इस रामलीला में पात्रों के लिए एक अनूठी परंपरा है. रामलीला के पात्रों का चयन एक कमेटी द्वारा किया जाता है. उसमें पास होने के बाद पात्रों को राम, लक्ष्मण, भरत और अन्य पात्रों को निभाने का मौका दिया जाता है. इसके साथ ही रामलीला के सभी पात्र ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए मंदिर में ही प्रवास शुरु करते हैं. पुरानी परंपरा के अनुसार सभी पात्रों का चयन होने के बाद उनका मुंडन करवाया जाता है.उसके बाद वह रामलीला का समापन होने तक मोबाइल और मनोरंजन की सुविधाओं से दूर रहते हैं. वहीं इसमें रावण के पात्र को राजतिलक तक नियमों का पालन नहीं करना होता है. इस रामलीला में पात्र बनने के लिए ब्राह्मण होना अति आवश्यक है.
हजारों की संख्या में देखऩे आते हैं रामलीला
इतिहासकार बताते हैं कि फिरोजाबाद में होने वाली इस रामलीला का मंचन कभी मंच पर नहीं होता. यहां जमीन पर मंचन कराया जाता है. वहीं रामलीला के लिए एक मैदान तैयार किया गया है, जिसके चारों तरफ पक्की सीढियां बनाई गई हैं. राम बारात से लेकर विदाई तक मंचासीन रामायण की चौपाइयां बोलते हैं. हजारों की संख्या में लोग इस रामलीला को देखने आते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 15:27 IST