Pad
संजय कुमार/बक्सर: बिहार राज्य का पहला मायरा जैविक सैनिटरी पैड उत्पादन इकाई बक्सर जिले के चौसा प्रखंड स्थित अखौरिपुर गोला पर 60 लाख रूपए की लागत से स्थापित किया गया है. इस यूनिट में काम करने वाली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. इसका संचालन जननी जीविका महिला समूह से जुड़ी महिलाएं कर रही हैं.
जीविका द्वारा लगातार चलाए जा रहे पहल पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मेहनत के बदौलत लगातार उत्पादन क्षमता को बढ़ा रही हैं. शुरुआत में यहां 18 महिलाएं काम करती थी, लेकिन अब इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. यहां अब 22 महिलाएं काम करती हैं.
एसजेवीएन और जीविका द्वारा कराया गया निर्माण
इस प्लांट का निर्माण जिला प्रशासन के समन्वय से एसजेवीएन द्वारा प्राप्त आवंटित राशि 30 लाख रुपए एवं जीविका द्वारा आवंटित राशि 26.69 लाख रुपये (कुल राशि – 56.69 लाख) की सहायता से आदर्श जीविका महिला विकास स्वावलंबी सहकारी समिति लि., बनारपुर, चौसा अंतर्गत गठित जननी जीविका महिला उत्पादक समूह के द्वारा जैविक सैनेटरी पैड उत्पादक इकाई संचालित है.
मिट्टी के संपर्क में आते ही गल जाएगा पैड
इकाई की एचएन मैनेजर रजिया सुल्तान ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि जीविका दीदीयों द्वारा निर्मित इस सैनेटरी पैड की खासियत यह है कि उपयोग के बाद मिट्टी के संपर्क में आने से गलकर मिट्टी हो जाएगा. वातावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा बताया गया कि बाजार में बिक रहे सैनिटरी पैड में केमिकल व प्लास्टिक का उपयोग होता है. चौसा स्थित जीविका के यूनिट में बनने वाले पैड में 100 प्रतिशत रुई का उपयोग होता है.
1800 पैड का प्रतिदिन होता है उत्पादन
वहीं, उन्होंने बताया कि केवल चौसा में 880 समूह बने हुए हैं. जिले भर में कुल 13 हजार जीविका समूह संचालित हो रहा है. चौसा में प्रतिदिन 1800 पैड का उत्पादन हो रहा है. जिले के बालिका उच्च विद्यालय और समूह से जुड़ी महिलाएं अपने दुकान के माध्यम से सप्लाई किया करती है. सैनेटरी पैड यूनिट में अलग-अलग प्रकार की 8 मशीनें लगी हुई है. इस यूनिट में 22 ग्रामीण महिलाएं रोजगार कर रही हैं. सभी महिलाओं को न्यूनतम 4 हजार रुपए प्रति माह वेतन के रूप में 5 घंटे का दिया जा रहा है. फिलहाल यहां डे शिफ्ट में ही उत्पादन का कार्य हो रहा है, तो महिलाएं दिन में ही काम करती है.
दो किस्म की जैविक सैनिटरी पैड का होता है निर्माण
जीविका दीदी द्वारा बताया गया कि यहां पर दो किस्म के जैविक सैनिटरी पैड बनाएं जा रहे हैं. एक पैकेट में 7 पैड रहता है, जिसे होलसेल रेट 32 रुपए 50 पैसे में बेचा जाता है. दूसरी वेरायटी को 34 रुपए में समूह को दिया जाता है. उन्होंने बताया कि डिमांड के मुताबिक अभी उत्पादन नहीं हो पा रहा है. आने वाले दिनों में इसका विस्तार किया जाना है. बता दें कि जीविका से जुडने के बाद ग्रामीण महिलाओं के जीवन में काफी बदलाव आया है. उनके परिवार को जीविका ने आर्थिक तंगी से उबरने में सहयोग किया है.
Tags: Bihar News, Buxar news, Local18
FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 17:52 IST