बारे में घास चरती बकरियां
जहानाबाद. बकरी पालन ग्रामीण परिवेश के लोगों के लिए आजीविका का मुख्य साधन शुरुआत से ही माना जाता रहा है. यह गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए कमाई का अच्छा स्त्रोत बनता जा रहा है. हालांकि, बदलते दौर में अब इस व्यवसाय को लोग बड़े पैमाने पर कर रहे हैं, ताकि अच्छी कमाई की जा सके. साथ ही इलाके में एक अच्छा पहचान हो सके.
इस व्यवसाय में सरकार भी मदद करती है. इसके लिए कई योजना चला रही है. जहानाबाद के मखदुमपुर प्रखंड के रहने वाले युवा शंकर रोहित बकरी पालन सरकारी मदद के जरिए कर रहे हैं. उन्होंने 100+5 बकरी वाली योजना से इसकी शुरुआत की है.
100 से अधिक बकरियों का कर रहे हैं पालन
बकरी पालन करने के लिए सुसज्जित तरीके से सारी तैयारियां कर रखा हैं. बकरियों के रख-रखाव से लेकर चारे तक की सारी व्यवस्था उपलब्ध है. शंकर रोहित ने लोकल 18 ने बताया कि 2020 में बकरी पालन की ट्रेनिंग पीएनबी के माध्यम से ली थी. हमारी योजना साल 2023-24 में स्वीकृत हुई थी. हमें बकरी पालन करने की सीख गांव के लोगों को देखकर और ट्रेनिंग के जरिए ली थी, क्योंकि लोगों से ऐसा सुनते थे कि यह गरीबों की गाय है. फिलहाल रोहित के पास 100 से अधिक बकरियां और 5 से अधिक बकरे भी हैं. उन्होंने बताया कि बकरियों के रख-रखाव का खासा ध्यान रखा गया है. बकरी ठंड में ना भींगे, इसके लिए प्रॉपर तरीके से बांस की ठठरियां बनाया है, ताकि जमीन गीला हो भी तो दिक्कत न हो.
बकरियों को रखने के लिए की है खास व्यवस्था
शंकर रोहित ने बताया कि आम तौर यह देखा जाता है कि जमीन पर बकरियां के रहने से जब गीला हो जाता तो काफी परेशानी होती है और बीमार भी होने का डर रहता है. इसके अलावा शेड में चारा खिलाने के लिए भी व्यवस्था कर रखे हैं. सबसे खास बात यह है कि ठंड के मौसम में बकरियों के बच्चों की परेशानी ना हो, इसके लिए एक स्पेशल घर बना रखा है और वहां हीट को मेंटेन रखने के लिए पीला बल्ब लगा दिया है. इतना ही नहीं, गर्मियों के लिए भी शेड में खास तरह की चीजें लगा रखें हैं. छत पर लगे एस्बेस्टस को गर्म होने से बचाने के लिए स्प्रिंकलर और आस-पास जुट का बोरा लगा रखे हैं. इससे गर्मी से राहत मिलती है. इतना ही नहीं, बकरियों को खाने की दिक्कत ना हो और चारे के लिए भी परेशानी न हो, इसके लिए एक बड़ा सा ग्राउंड है, उसमें चारे की व्यवस्था कर रखे हैं.
साल में दो बार बच्चा देती है इस नस्ल की बकरियां
बकरियों के चारे के लिए नेपियर और बरसिम्हा घास की खेती खुद करते हैं, ताकि चरने के लिए बकरियों को बाहर ना ले जाना पड़े. साथ ही सुरक्षा से बचाव को लेकर चारो तरफ कांटेदार घेराव कर रखे हैं, ताकि अन्य जानवरों का प्रवेश ना हो और हमारी बकरियां सुरक्षित रहे. उन्होंने बताया कि बकरी पालन से जुड़े व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसे गरीबों का एटीएम कहा जाता है. बकरियाें में ब्लैक बंगाल नस्ल साल में दो बार बच्चे देती है. 155 दिन इसका गर्भ काल होता है. इस नस्ल की बकरियां एक बार में कम से कम दो बच्चे जन्म देती है. कभी-कभी 4 बच्चे तक जन्म दे देती है. बेहतर तरीके से बकरी पालन किया जाए तो अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 14:25 IST