Why bash children get anger: अक्सर माता-पिता (Father mother) बच्चों के गुस्सैल व्यवहार की शिकायत करते रहते हैं. कई पेरेंट्स इसे उनकी जिद मानकर नजरअंदाज कर देते हैं तो कई लोग उन्हें डांट या पिटाई लगाकर सीख देने का प्रयास करते हैं.लेकिन पेरेंट्स का ऐसा व्यवहार, समस्या को कम करने की बजाय, और भी बढ़ा देता है. यही नहीं, आपके इस व्यवहार से उनकी भावनात्मक स्थिति या मानसिक सेहत भी तेजी से बिगड़ने लगती है. दरअसल, घर का तनावपूर्ण माहौल, पढ़ाई का दबाव, या दोस्तों के साथ अनबन जैसी वजहें, बच्चों को गुस्सैल बनाती हैं. अगर समय रहते इन संकेतों पर ध्यान न दिया जाए, तो यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है और उनके भविष्य को बर्बाद कर सकती है. इसलिए यह जरूरी है कि हम बच्चों के गुस्से की वजह को समझने की कोशिश करें और उसे सही तरीके से संभालें.
बच्चों के गुस्सैल स्वभाव के पीछे की वजह (Causes of kid anger)
एडीएचडी (ADHD): चाइल्ड माइंड वेबसाइट के मुताबिक, अगर बच्चे में एडीएचडी की समस्या है तो उन्हें एक से दूसरे काम में स्विच करने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है. जिससे वे जिद्दी और गुस्सैल दिखाई देते हैं. एडीएचडी वाले 50% से अधिक बच्चे गुस्से और भावनात्मक विस्फोटों का अनुभव करते हैं. उनके लिए ध्यान केंद्रित करना, काम को पूरा करना आसान नहीं होता, और जब वे ऐसा नहीं कर पाते तो उनमें गुस्सा, तकरार और संघर्ष जैसे लक्षण दिखते हैं.
चिंता (Anxiety): कुछ बच्चे, जिन्हें आप गुस्सैल और जिद्दी जैसे टैग लगा देते हैं, दरअसल, वे किसी गहरी चिंता से पीड़ित होते हैं, जिसे वे डर के कारण शायद आपके साथ शेयर नहीं कर पा रहे. उनकी उम्र अभी इतनी नहीं है कि वे अपनी परेशानियों का खुद निदान निकाल सकें. ऐसे में वे तनाव में आ जाते हैं और दबाव गुस्से के रूप में बाहर निकलने लगता है.
डर या उपेक्षा (Trauma oregon Neglect): कई टीचर शिकायत करते हैं कि बच्चा स्कूल में गुस्सैल हरकतें करता है, यह दरअसल घर में किसी तरह के आघात, उपेक्षा या अराजकता की प्रतिक्रिया का रूप हो सकता है. जब बच्चे घर में सुरक्षित महसूस नहीं करते तो वे स्कूल में एग्रेसिव हरकतें करने लगते हैं. ऐसे लक्षण विशेष रूप से एडीएचडी वाले बच्चों में पाई जाती है, जिन्होंने घर पर किसी तरह का आघात या उपेक्षा का अनुभव किया है.
सीखने में समस्या होना (Learning Problems): अगर आपका बच्चा बार-बार स्कूल में या होमवर्क करते समय गुस्से में आ जाता है, तो हो सकता है कि उसे सीखने या समझने में परेशानी हो रही हो. उदाहरण के लिए, अगर उसे गणित में परेशानी हो रही है और गणित के सवाल उसे बहुत निराश और चिड़चिड़ा बना देते हैं, तो वह मदद मांगने के बजाय असाइनमेंट फाड़ सकता है या किसी अन्य बच्चे के साथ लड़ाई शुरू कर सकता है, जिससे वह अपनी असली समस्या से ध्यान हटा सके.
सेंसरी प्रोसेसिंग इश्यू (Sensory Processing Issues): कुछ बच्चों को अपने आसपास से मिल रही विचलित करने वाली जानकारियां या लोगों का बर्ताव, परेशान कर देती है. खासतौर पर अगर बच्चा अधिक सेंसिटिव है या बिल्कुल संवेदनशील नहीं है. उसे किसी तरह का कमेंट या बुरी बातों पर रिएक्ट करने में दिक्कत आती है और वह ऐसे माहौल में असहज, चिंतित, विचलित महसूस करता है. इस वजह से वह बिना किसी स्पष्ट कारण के गुस्सा या चिड़चिड़ापन महसूस करने लगता है.
ऑटिज़्म (Autism): ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम पर रहने वाले बच्चे भी अक्सर उत्तेजित हो जाते हैं और बात पूरी न होने पर गुस्से में भड़क जाते हैं. वे अपनी इच्छाओं या आवश्यकताओं को व्यक्त करने के लिए सही भाषा या कॉम्यूनिकेशन स्किल विकसित नहीं कर पाते और गुस्से में उनका इमोशन निकलने लगता है.
यह जानकारी इस बात को समझाने में मदद करती है कि बच्चों के गुस्से के पीछे मेंटल, फिजिकल हेल्थ भी कारण हो सकता है, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे हालात में जब माता पिता उन्हें डांटने या मारपीट करते हैं तो उनके लिए जीवन जीना बहुत मुश्किल भरा हो जाता है. इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने आसपास ऐसा माहौल बनाएं, कि हर बात आपको आकर वह बता सके और मन हल्का कर पाए. जरूरत पड़े तो हेल्थ एक्सपर्ट से मदद लें.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 07:14 IST