चूरू. राजस्थान अपनी भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु के लिए काफी फेमस है. ऐसे में यहां उगने वाले हर एक पेड़, पौधों का भी औषधीय महत्व है. ऐसी ही एक झाड़ी है ‘फोग’ जिसकी गहरी जड़ों से लेकर फूल और टहनियों का विशेष महत्व है. बावजूद इसके यह औषधीय झाड़ी आज अपने अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद कर रही है.
वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर संजय तंवर कहते हैं कि फोग के फूल ‘फोगला’ का रायता बहुत ही प्रसिद्ध है. इस रायते के पीछे एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि फोग के फूलों के बने रायते की तासीर ठंडी होती है, जो रेगिस्तान में लू से बचाती है और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देती है. राजस्थान के खाने में इसका अहम स्थान होने के साथ-साथ यह यहां की संस्कृति से भी विशेष रूप से जुड़ा हुआ है.
जानें इस पौधे की खासियत
डॉक्टर संजय तंवर ने लोकल-18 से बातचीत में कहते हैं कि फोग की जड़ें बहुत गहरी होती हैं, जो रेगिस्तान में धोरों को बांधने का काम करती है. इसकी पत्तियां टूट-टूट कर जमीन पर गिरती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है. रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में उगकर यह क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन में अहम भूमिका निभाता है. फोग का पौधा अत्यंत सूखे और पाले दोनों ही परिस्थितियों में जीवित रह सकता है, इसकी यही खासियत ही इसे थार के अनुकूल बनाती है. पर्यावरणीय दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी राजस्थान में धीरे-धीरे फोग की झाड़ियां लगातार खत्म होती जा रही है.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 17:03 IST
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