बलिया की बेटी ने वाराणसी में मचा दिया धमाल, श्रोता भी हो गए भाव विभोर

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बलिया की बेटी का काशी में धमाल 

बलिया की बेटी श्वेता पांडेय ने साबित कर दिया कि अगर ख्वाबों को पूरा करने की लगन हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं. मध्यमवर्गीय परिवार से निकलकर श्वेता ने काशी के मंच पर अपनी कविताओं से ऐसा धमाल मचाया कि उनकी चर्चा हर ओर हो रही है. श्वेता की सफलता की कहानी में फेसबुक का भी एक खास रोल रहा है.

श्वेता पांडेय, बलिया के एक साधारण परिवार से हैं. उनके पिता जिला सत्र न्यायालय में वकील हैं. दसवीं कक्षा के दौरान श्वेता को महसूस हुआ कि उन्हें अपने विचारों को शब्दों में ढालना चाहिए. सोशल मीडिया ने उन्हें अपनी रचनात्मकता दिखाने का सही मंच दिया.

फेसबुक बना प्रेरणा का माध्यम
श्वेता का परिचय फेसबुक के जरिए जम्मू-कश्मीर की प्रख्यात संस्था हिंदी साहित्य मंडल के एडमिन, रिटायर्ड जीएम नरेश गुलाठी से हुआ. गुलाठी ने श्वेता का मार्गदर्शन किया और उनकी लेखनी को दिशा दी. इस सहयोग से श्वेता की कविताओं की रफ्तार तेज हो गई. आज तक उन्होंने 200 से अधिक कविताएं लिखी हैं.

काशी कवि कुंभ में पहली सफलता
श्वेता ने मीडिया के जरिए जाना कि वाराणसी में काशी कवि कुंभ का आयोजन हो रहा है. उन्होंने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आवेदन किया, और उनका चयन हो गया. यह उनके लिए पहली बार मंच पर अपनी कला दिखाने का मौका था.

मंच पर मचाया धमाल
काशी के मंच पर श्वेता ने अपनी कविता “बाप की पगड़ी” सुनाई, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया. उनकी दूसरी कविता “तू वार कर” ने भी श्रोताओं की खूब प्रशंसा बटोरी.

प्रकाशित हो चुकी हैं कविताएं
श्वेता की कई कविताएं, जैसे “मधुरिमा,” “तू वार कर,” “एक सोच,” और “मैं नारी हूं,” प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि उनकी लेखनी का अधिकतर केंद्र नारी सशक्तिकरण और समाज में उनकी भूमिका है.

श्वेता की कहानी प्रेरणा है
श्वेता पांडेय की यह यात्रा दिखाती है कि मेहनत और लगन से किसी भी सपने को हकीकत में बदला जा सकता है. बलिया की यह बेटी न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे जनपद का गौरव बनी है.

Tags: Hindi poetry, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 22, 2024, 12:00 IST

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