Last Updated:January 19, 2025, 12:28 IST
Gourd Vegetable Farming: भावनगर जिले के जेसर तालुका के किसान जयसुखभाई राजाभाई ने बेल वाली सब्जियों की खेती से लाखों की कमाई की है. उन्होंने आत्मा परियोजना के तहत शिविर में भाग लेकर इस खेती को अपनाया और अब मल्चिंग पद्धति और जैविक खाद का...और पढ़ें
भावनगर: आज के समय में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण भावनगर के जेसर तालुका में देखने को मिलता है. यहां एक किसान ने दो साल पहले किसानों के लिए आयोजित एक शिविर में भाग लिया, जहां से उन्हें बेल वाली सब्जियों की खेती का ज्ञान मिला. इस ज्ञान को उन्होंने अपने खेत में अपनाया और आज लाखों रुपये कमा रहे हैं.
शिविर से मिली सब्जी खेती की प्रेरणा
बता दें कि जेसर तालुका के सनाला गांव के 26 वर्षीय युवा किसान बरैया जयसुखभाई राजाभाई पिछले पांच साल से खेती कर रहे हैं. लोकल 18 से बातचीत में उन्होंने बताया, “मैंने महाराष्ट्र में आत्मा परियोजना द्वारा आयोजित एक शिविर में भाग लिया. यहीं से मुझे बेल वाली सब्जियों की खेती की प्रेरणा मिली. मैंने अपने खेत में दूधीय, गलका, खीरा और करेला जैसी सब्जियां मंडप पद्धति से उगाई. इसके लिए बीजों की व्यवस्था तालाब से की. शुरुआत में खेत में जैविक खाद का उपयोग किया और जरूरत के अनुसार जीवामृत और अन्य प्राकृतिक उर्वरक भी दिए.”
लागत कम, उत्पादन ज्यादा
बता दें कि किसान जयसुखभाई ने बताया, “इस फसल की खेती की लागत प्रति बीघा लगभग 20 से 25 हजार रुपये है. मल्चिंग पद्धति (mulching method) के कारण फसल में नमी बनी रहती है और खरपतवार हटाने का खर्च भी कम होता है. साथ ही, कीटों का प्रकोप भी कम होता है. इसके रिजल्टस्वरूप, खेत में सब्जियों का अच्छा उत्पादन हो रहा है.”
फसल से लाखों की कमाई
लोकल 18 से बात करते हुए जयसुखभाई ने फसल उत्पादन के बारे में बताया, “हर फसल से प्रति बीघा एक लाख रुपये से अधिक की आय होती है. उदाहरण के लिए, 1 किलो खीरे की कीमत लगभग 40 से 50 रुपये, 1 किलो दूधीय की 10 से 30 रुपये, और 1 किलो करेला की 20 से 40 रुपये मिलती है. इससे करेले से 30,000 से 35,000 रुपये, खीरे से 20,000 से 25,000 रुपये, दूधीय से 25,000 से 30,000 रुपये और गलका व अन्य सब्जियों से भी अच्छी आय होती है.”
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नई तकनीक से खेती बनी लाभकारी
जयसुखभाई जैसे किसानों का कहना है कि नई तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों (Scientific Methods) को अपनाकर खेती को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है. उनका यह उदाहरण अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है.
First Published :
January 19, 2025, 12:28 IST
बहुत सस्ती और चमत्कारी है ये खेती! कम लागत में मोटी कमाई कर रहा है ये किसान