Jamshedpur East Assembly Election 2024: झारखंड चुनाव 2024 में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर अचानक गहमागहमी बढ़ गई है. यहां से पूर्णिमा दास को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है, जिसको लेकर पार्टी के अंदर विरोध शुरू हो गया है. भाजपा नेता शिवशंकर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज शिवशंकर सिंह ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की है.
कार्यकर्ताओं में चर्चा थी कि टिकट घोषणा के पहले शिवशंकर ही इस सीट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन, पार्टी ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की पुत्रवधू पूर्णिमा दास को टिकट दे दिया है. अब इसे लेकर पार्टी के अंदर एक धड़ा नाराज चल रहा है. जानकार बताते हैं कि यही धड़ा 2019 विधानसभा चुनाव में भी रघुवार दास से नाराज था. ये नाराजगी अभी तक दूर नहीं हुई, जिससे अब माना जा रहा है कि रघुवर दास की बहू की राह मुश्किल हो सकती है.
30 साल से एक ही परिवार को टिकट क्यों?
बीजेपी नेता शिवशंकर सिंह ने कहा, टिकट बंटवारे को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. जमीन पर मेहनत करने वालों को नजरअंदाज किया जा रहा है. ऐसे में कार्यकर्ता उन्हें चुनावी मैदान में उतारने को बोल रहे हैं. वह समर्थकों की भावना का सम्मान करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार हैं. शिवशंकर ने ये भी कहा कि 30 साल से इस सीट पर रघुवर दास के परिवार को ही टिकट दिया जा रहा है, जो कार्यकर्ताओं की नाराजगी का बड़ा कारण है.
आज खरीद सकते हैं पर्चा
वहीं, समर्थकों का कहना है कि शिवशंकर सिंह 25 साल से पार्टी की सेवा कर रहे हैं. पूरे विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक सक्रिय थे. जनता के हर सुख-दुख में हमेशा खड़े रहे. वह यहां से टिकट के लिए प्रबल दावेदार थे. इसलिए उनसे चुनावी मैदान में उतरने की मांग की गई. शिवशंकर सिंह सोमवार को नामांकन के लिए पर्चा खरीदेंगे. उधर, राजनीतिक गहमागहमी के बीच आज शाम तक रघुवर दास भी जमशेदपुर पहुंच रहे हैं.
महिला विधायक भी होनी चाहिए: पूर्णिमा
बीजेपी से टिकट मिलने के बाद पूर्णिमा दास चर्चा में आ गई हैं. लेकिन, पार्टी के अंदर ही उनका विरोध हो रहा है. ऐसे में पूर्णिमा दास की चुनौती बढ़ सकती है. पूर्णिमा ने छत्तीसगढ़ में बतौर पत्रकार अपने करियर की शुरुआत की थी. अब जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से उम्मीदवारी कर रही हैं. उन्होंने कहा, पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. इस पर शत-प्रतिशत खरा उतरने की कोशिश करूंगी. जमशेदपुर पूर्वी सीट से कई कद्दावर नेता निकलते हैं, लेकिन बतौर विधायक महिला को मौका मिलना बाकी है. मैं चुनाव जीतकर यहां की महिलाओं की आवाज बनूंगी. महिला सम्मान मेरी प्राथमिकता है. महिलाओं और बच्चियों पर होने वाले अत्याचार को रोकूंगी. युवाओं को आगे बढ़ाने में मदद करूंगी.
रूठे कार्यकर्ताओं को मनाएंगे
बीजेपी जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा ने लोकल 18 से कहा, मैं रविवार को रांची में था. शिवशंकर सिंह पार्टी के परिपक्व नेता और पुराने सिपाही हैं. उनकी नाराजगी दूर की जाएगी. पर्चा खरीदने से कुछ नहीं होता है. आज रात तक रघुवर दास भी जमशेदपुर पहुंच रहे हैं. दो-तीन दिन में सब सही हो जाएगा. सभी कार्यकर्ताओं को मना लिया जाएगा. पूर्णिमा दास यहां से भारी मतों से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचेंगी.
चुनाव प्रभावित नहीं कर सकते रघुवर: कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी ने कहा, अखबार के माध्यम से पता चला कि जमशेदपुर पूर्वी सीट पर बीजेपी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है. वहां प्रत्याशी का पार्टी के अंदर ही विरोध हो रहा है. जब पार्टी के कार्यकर्ता ही प्रत्याशी को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं तो जनता कितना स्वीकार करेगी. आगे कहा, रघुवर दास संवैधानिक पद पर बैठे हैं. एक राज्यपाल होते हुए वह किसी भी प्रत्याशी की मदद नहीं कर सकते हैं. यदि वह चुनाव को प्रभावित करते पाए जाएंगे तो चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की जाएगी.
रघुवर दास की पारंपरिक सीट
बता दें कि जमशेदपुर पूर्वी सीट रघुवर दास की पारंपरिक सीट मानी जाती है. वह 1995 में पहली बार यहां से विधायक बने और लगातार 5 बार चुनाव जीते. साल 2014 में 70 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भी बने. लेकिन, इसके बाद 2019 में हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय ने उन्हें हरा दिया. 2024 चुनाव में समीकरण ऐसा बना कि सरयू राय को जमशेदपुर पश्चिम सीट पर शिफ्ट कर दिया गया. वह एनडीए गठबंधन में शामिल जदयू के प्रत्याशी होंगे. जानकारी के अनुसार, सिटिंग एमएलए होने के नाते वह जमशेदपुर पूर्वी सीट से ही मैदान में उतरना चाहते थे. रघुवर दास और सरयू राय के बीच खटपट जगजाहिर है.
सरयू की बीजेपी में वापसी पर रघुवर ने लगाया वीटो
विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने सरयू राय का टिकट काट दिया था. वे बीजेपी के टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम सीट से 2014 और 2005 में विधायक चुने गए थे. साल 2019 में टिकट कटने के पीछे रघुवर दास का हाथ माना गया. इससे नाराज होकर सरयू राय ने अपनी सीट छोड़ जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर रघुवर दास को चुनाव हरा भी दिया. रघुवर दास 5 बार से यहां से लगातार चुनाव जीत रहे थे. लोकसभा चुनाव 2024 में सरयू राय की बीजेपी में वापसी पक्की मानी जा रही थी. उन्हें धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी लगभग पूरी हो गई थी. जानकार बताते हैं रघुवर दास ने अंतिम समय में वीटो लगाकर पूरी तैयारी पर पानी फेर दिया था.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 14:43 IST