दौसा जिले में किसान बाजरा निकलाते हुए
दौसा/ पुष्पेन्द्र मीना: राजस्थान में इन दिनों बाजरे की फसल की कटाई जोरों पर है. किसान बाजरे को थ्रेसर के माध्यम से निकालकर अपने घरों में रख रहे हैं, लेकिन थ्रेसर से निकलने वाले बचे हुए अवशेष, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘बुल्लर’ या ‘बुलरा’ कहा जाता है, जिसे किसान अक्सर जला देते हैं. कृषि अधिकारियों का कहना है कि बुल्लर को जलाने की बजाय इसका उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जाना चाहिए, जो फसलों के लिए अत्यधिक लाभदायक साबित हो सकता है.
बुल्लर को जलाने से नुकसान, खाद बनाने के फायदे
जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार मीणा ने बताया कि बाजरे की कटाई के बाद बचे हुए बुल्लर को जलाना पर्यावरण और मिट्टी दोनों के लिए हानिकारक है. इसके जलने से जमीन में मौजूद लाभकारी जीवाणुओं की मृत्यु हो जाती है, जिससे भूमि की उर्वरता कम होती है. इसके विपरीत, अगर किसान इसे सही तरीके से खाद बनाने के लिए उपयोग करें तो यह फसल की पैदावार बढ़ाने में सहायक हो सकता है.
खेतों में आग लगाने से हानियां
कृषि अधिकारी अशोक मीणा ने बताया कि थ्रेसर से निकलने वाले बुल्लर को खेतों में जलाने से मिट्टी में मौजूद मित्र कीट मर जाते हैं, जो फसल की उर्वरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, खेत में आग लगाने से कई बार अनजाने में फसल को भी नुकसान हो सकता है, जिससे किसान को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है.
खाद बनाने का सरल तरीका
कृषि अधिकारियों की सलाह के अनुसार, किसान बुल्लर को जलाने की बजाय इसे गोबर के साथ मिलाकर खाद बना सकते हैं. इसके लिए किसानों को बुल्लर को अपने घर ले जाकर एक गड्ढे में डालना चाहिए. फिर उस पर और नीचे पशुओं का गोबर डाल दें. कुछ समय बाद यह बुल्लर गलकर सुपरकंपोस्ट खाद में परिवर्तित हो जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और फसलों की पैदावार में सुधार लाने में सहायक साबित होता है.
कृषि अधिकारियों की सलाह
लोकल मीडिया से बातचीत करते हुए कृषि अधिकारी अशोक मीणा ने किसानों को सलाह दी कि बुल्लर को जलाने के बजाय इसका सही उपयोग खाद के रूप में किया जाए. इससे न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा. किसानों के लिए यह एक सरल और सस्ता तरीका है जिससे वे अपनी जमीन की उर्वरता को बनाए रखते हुए बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 20:25 IST