बाजार में मौजूद 'जवानी की गोली' कितना कारगर, एक्सपर्ट ने समझिए

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Anti-ageing supplement: अगर कोई कहे कि आपकी जवानी अब भी बेहिसाब है तो आपको खुशी तो जरूर महसूस होगी. ये मानव स्वभाव है कि वह अपनी जवानी को खोना नहीं चाहता लेकिन कुदरत इसे स्वीकार नहीं करता और उम्र बढ़ने के साथ ही जवानी भी ढलने लगती है. हालांकि पिछले कुछ सालों से जवानी को बरकरार रखने के लिए दुनिया भर में कई तरह की रिसर्च होने लगी है. इससे कभी-कभी ऐसा लगता है कि एक दिन ऐसा आएगा जब लोग हमेशा जवान ही दिखेंगे. कई तरह के अध्ययनों और विश्लेषणों के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि स्परमाइडिन, एंटीऑक्सीडेंट रिजवेरेटॉल, कोलेजन जैसे कुछ ऐसे कंपाउड शरीर में होते हैं जिनके कारण चेहरे पर जवानी का नूर टपकता रहता है. जब ये कंपाउड उम्र के साथ कम होने लगते हैं तो चेहरे पर बुढ़ापा का असर दिखने लगता है. इस रिसर्च के बाद दुनिया भर में कई ऐसे प्रोडक्ट, दवा या सप्लीमेंट बनने लगे हैं जिनसे उम्र को रोकने का दावा किया जाने लगा है.

अमेरिका में एक अरबपति तो खुद को अपने बेटे की उम्र में दिखने के लिए रोजाना लाखों रुपये खर्च करता है और दावा कर रहा है कि उसने अपनी उम्र को बहुत ज्यादा घटा लिया है. तो क्या जवानी की इस गोली से उम्र को रोका जा सकता है या चेहरे पर जवानी को हमेशा बरकरार रखा जा सकता है. डेलीमेल की रिपोर्ट में लेनकास्टर यूनिवर्सिटी के बायोजीरोनोटोलिज्सट डॉ. डेविड क्लांसी से बाजार में मौजूद एंटी-एजिंग सप्लीमेंट की पड़ताल की है. आइए जानते हैं कि इससे क्या निकलकर सामने आया है.

इन जवानी की गोली का असर

1. एनएमएन-निकोटिनामाइड मोनोन्यक्लियोटाइड-इस कंपोजीशन की दवा बाजार में उपलब्ध है. हालांकि ये सारी दवाइयां सरकारी नियामक संस्थाओं से अधिकृत नहीं है और कंपनी अपनी रिसर्च के आधार पर इसे बेच रही है. इस दवा के बारे में दावा किया जाता है कि इससे डीएनए को रिपेयर करने वाले और शरीर को हेल्दी बनाने वाले एंजाइम निकलते हैं जिससे उम्र बढ़ती और फिजिकल परफॉर्मेंस बढ़ता है. एक्सपर्ट का कहना है कि एनएडी एंजाइम के कम होने का संबंध तेजी से उम्र बढ़ने, एज रिलेटेड बीमारी और कैंसर से जोड़ा जाता है. ऐसे में अगर कोई दवा से एनएडी एंजाइम बढ़ता है तो उम्र को बढ़ाने में मदद कर सकता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक हालिय स्टडी में भी इसे प्रमाणित किया गया है लेकिन यह अध्ययन अभी बहुत छोटे स्तर पर हुए हैं और लोगों पर इसका सटीक प्रभाव क्या पड़ता है, इसके बारे में कहना मुश्किल है.

2. कोलेजन-बाजार में आपको कई सारी क्रीम मिल जाएंगी जिनके बारे में दावा किया जाता है कि यह एंटी-एजिंग क्रीम है. अपने देश में भी यह खूब मिलता है. दरअसल, स्किन के नीचे कोलेजन की परत होती है जो स्किन को मुलायम बनाती है और इसमें इलास्टिसिटी यानी लचक लाती है. इससे स्किन जवां दिखती है. कंपनियों का दावा यही होता है कि कोलेजन स्किन में सॉफ्टनेस लाएगा. एक्सपर्ट डेविड क्लेंसी का कहना है कि निश्चित रूप से कोलेजन बॉडी में स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाता है. कुछ शुरुआती रिसर्च में यह पाया गया है कि कोलेजन स्किन की इलास्टिसिटी, हाइड्रेशन, नाखून और हेयर ग्रोथ में भी मदद करता है. लेकिन मेरी जानकारी में अब तक यह बात सामने नहीं आई है कि बाजार में मिलने वाला कोलेजन स्किन के नीचे कुदरती तौर पर बनने वाले कोलेजन की तरह प्रोटीन का मिक्चर है. इसलिए हमें अभी और रिसर्च की जरूरत है.

3. रेजवेराट्रॉल-रेजवेराट्रॉल कैप्सूल या टैबलेट में मिलता है जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह एंटी-एजिंग कैप्सूल है जो उम्र के असर घटाा है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होता है. इसे ब्रेकफास्ट के बाद खाना होता है. एक्सपर्ट डेविड क्लेंसी का कहना है कि रेजवेराट्रॉल प्लांट कंपाउड है जो अंगूर, ब्लूबेरी के छिल्का में पाया जाता है. टेस्ट ट्यूब स्टडी में पाया गया है कि रेजवेराट्रॉल में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होता है जो कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाता है या कोशिकाओं के डैमेज होने से जो फ्री रेडिकल्स बनता है उससे बचाता है. ये फ्री रेडिकल्स से स्किन को बूढ़ा बनाता है. इसलिए यह उम्र के असर को रोकने में मददगार साबित हो सकता है लेकिन इसमें भी यही बात है, ऐसी रिसर्च सीमित है और पूरी तौर पर इसका इंसानों पर परीक्षण होना बाकी है. सबसे खास बात यह है कि कोई भी एंटी-एजिंग सप्लीमेंट दावों पर आधारित है. इसलिए इन सप्लीमेंट को बिना डॉक्टरों की सलाह से न लें.

4. स्पमाइडिन
-स्परमाइडिन भी कैप्सूल या टैबलेट में मिलता है. इसके बारे में दावा किया जाता है कि ये कोशिकाओं को रिन्यू करता है. एक गोली रोज खाने की सलाह दी जाती है. एक्सपर्ट का कहना है कि स्परमाइडिन को पहली बार इंसानों के वीर्य में देखा गया था लेकिन अब इसे सभी कोशिकाओं में खोज लिया गया है. इसका सही लेवल एज रिलेटेड कई बीमारियों के जोखिम को कम करता है लेकिन इसे कई तरह के फूड से भी प्राप्त किया जा सकता है.

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FIRST PUBLISHED :

October 7, 2024, 17:53 IST

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