स्थिर लग्न में ही शादी विवाह संपन्न करना चाहिए.
परमजीत / देवघर: 16 संस्कारों में से एक संस्कार विवाह भी है. वहीं हिंदू धर्म में शादी विवाह या फिर कोई भी मांगलिक कार्य शुभ तिथि और मुहूर्त देखकर ही किया जाता है. माना जाता है कि तभी शुभफल की प्राप्ति होती है. इससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है. वहीं विवाह में लग्न का बेहद खास महत्व होता है. बिना लग्न के शादी दोष मानी जाती है. विवाह मे लग्न सावधानी पूर्वक निकाली जाती है. गलत लग्न मे शादी होने से शादी के बाद वैवाहिक जीवन मे नकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है.देवघर के ज्योतिषाचार्य से कौन कौन से शुभ लग्न और क्या महत्वा जानते है?.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि शादी विवाह में लग्न का विशेष महत्व होता है. वैसे तो लग्न 12 प्रकार के होते हैं. लेकिन शादी विवाह के लिए स्थिर लग्न बेहद श्रेष्ठ माना जाता है. स्थिर लग्न में शादी विवाह होने से वैवाहिक जीवन के लिए शुभ होता है.शादी विवाह मे तिथि से ज्यादा लग्न देखना चाहिए.
कैसे निकाला जाता है शादी विवाह के शुभ लग्न
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वर वधू कुंडली में ग्रह नक्षत्र देखकर ही लग्न तय की जाती है. जिस लग्न मे गुरु और शुक्र अस्त ना हो वो शुभ माना जाता है. इसके साथ ही सभी ग्रह शुभ स्थिति मे हो. जैसे लग्न मे सूर्य पहले और सातवें भाव मे ना हो, चन्द्रमा पहले छठें और आठवें भाव मे ना हो, गुरु सातवे और आठवें भाव मे ना हो,शुक्र तीसरे सातवें और आठवें भाव मे ना हो,इन चीजों को देख कर भी लग्न त्यार किये जाते है.
लड़की पक्ष वाले देते है लग्न
कई जगहों पर अलग अलग परम्परा से शादी विवाह किये जाते है. वहीं झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों मे विवाह शुभ तिथि और लग्न देखकर ही शादी तय की जाती है. वहीं विशेषकर झारखण्ड बिहार जैसे राज्य मे जब लड़के का तिलक पड़ जाता है तो लड़की के पिता एक शुभ लग्न और मुहूर्त लिखकर लड़के के पिता को सौपते है और उसी लग्न मे और मुहूर्त मे बारात लेकर आने के लिए निमंत्रण करते है. ताकि शुभ लग्न मे विवाह सम्पन्न हो. जिसे बोल चाल की भाषा मे लग्न टिप भी कहते है.
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 11:27 IST